गणित विषय की अच्छी तैयारी के लिए कक्षा 11 गणित के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे छात्र जो गणित विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपनी तैयारी के लिए यहाँ सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर मिल जाएंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर की जानकारी किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक होती है। इस पेज में NCERT Book के यूनिट 5 – सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
श्रोत – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
कक्षा: 11
विषय: गणित
अध्याय: यूनिट 5 – सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण
कक्षा 11 गणित के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण
कक्षा 11 गणित विषय के यूनिट 5 – सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहाँ प्राप्त करें।
5.1- समग्र अवलोकन
हम जानते हैं कि एक वास्तविक संख्या का वर्ग सदैव ऋणेत्तर होता है। उदाहरणार्थ, (4)² = 16 और (−4)² = 16 है। इसलिए 16 का वर्गमूर्ल ± 4 है। किसी ऋणात्मक संख्या के वर्गमूल के बारे में क्या कहा जा सकता है? यह स्पष्ट है कि एक ऋणात्मक संख्या का कोई वास्तविक वर्गमूल नहीं हो सकता। अतः, हमें वास्तविक संख्याओं के निकाय को एक ऐसे निकाय में विस्तृत करने की आवश्यकता है जिसमें हम ऋणात्मक संख्याओं के वर्गमूल भी ज्ञात कर सकें। आॅयलर (1707&1783) ऐसा प्रथम गणितज्ञ था, जिसने -1 के धनात्मक वर्गमूल के लिए संकेत i [आयोटा ((iota)] प्रयुक्त किया। अर्थात्, i = √−1 है।
5.1.1 काल्पनिक संख्याएँ
किसी ऋणात्मक संख्या का वर्गमूल एक काल्पनिक संख्या कहलाता है,

5.1.3 सम्मिश्र संख्याएँ
1. वह संख्या जिसे a + ib के रूप में लिखा जा सके एक सम्मिश्र संख्या कहलाती है, जहाँ a और b वास्तविक संख्याएँ हैं तथा i = √−1 है।
2. यदि z = a + ib , एक सम्मिश्र संख्या है, तो a और b क्रमशः इस सम्मिश्र संख्या के वास्तव और काल्पनिक भाग कहलाते हैं। इन्हें त्म Re (z) = a और Im (z) = b लिखा जाता है।
3. सम्मिश्र संख्याओं के लिए क्रम संबंध ‘से बड़ा है’ और ‘से छोटा है’ परिभाषित नहीं है।
4. यदि किसी सम्मिश्र संख्या का काल्पनिक भाग शून्य हो, तो वह एक शुद्धता वास्तविक संख्या कही जाती है तथा यदि उसका वास्तविक भाग शून्य हो, तो वह शुद्धता काल्पनिक संख्या कही जाती है। उदाहरणार्थ, 2 एक शुद्धता काल्पनिक संख्या है, क्योंकि इसका काल्पनिक भाग शून्य है तथा 3i के शुद्धता काल्पनिक संख्या है, क्योंकि इसका वास्तविक भाग शून्य है।
5.1.4 सम्मिश्र संख्याओं का बीजगणित
1. दो सम्मिश्र संख्या z₁ = a + ib और z₂ = a + id बराबर कहलाती है, यदि a = c और b = d
2. मान लीजिए कि z₁ = a + ib और z₂ = a + id सम्मिश्र संख्याएँ हैं। तब z₁ + z₂ = (a + c) + i (b + d) होता है।
5.1.5 सम्मिश्र संख्याओं का योग निम्नलिखित गुणों (गुणधर्मों) को संतुष्ट करता है
1. क्योंकि दो सम्मिश्र संख्याओं का योग पुनः एक सम्मिश्र संख्या होता है, इसलिए सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय योग के लिए संवृत है।
2. सम्मिश्र संख्याओं का योग क्रम विनिमेय होता है, अर्थात् z₁ + z₂ = z₂ + z₁
3. सम्मिश्र संख्याओं का योग साहचर्य (या सहचारी) होता है, अर्थात् (z₁ + z₂) + z₃ = z₁ + (z₂ + z₃)
4. किसी सम्मिश्र संख्या z = x + i y के लिए एक ऐसी सम्मिश्र संख्या 0, अर्थात् (0 + 0i) ऐसी होती है कि z + 0 = 0 + z = z होता है। यह संख्या 0 योग के लिए तत्समक अवयव कहलाती है।
5. एक सम्मिश्र संख्या z = x + iy के लिए, सदैव एक सम्मिश्र संख्या – z = – x – iy ऐसी होती है कि z + (– z) = (– z) + z = 0. यह संख्या –z, z का योज्य प्रतिलोम कहलाती है।
5.1.6 सम्मिश्र संख्याओं का गुणन
मान लीजिए कि z₁ = a + ib और z₂ = a + id दो सम्मिश्र संख्याएँ हैं।
तब z₂ . z₂ = (a + ib) (c + id) = (ac – bd) + i (ad + bc)
1. क्योंकि दो सम्मिश्र संख्याओं का गुणनफल पुनः एक सम्मिश्र संख्या है, इसलिए सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय गुणन के लिए संवृत है।
2. सम्मिश्र संख्याओं का गुणन क्रम विनिमेय होता है, अर्थात् z₁.z₂ = z₂.z₁
3. सम्मिश्र संख्याओं का गुणन सहचारी होता है, अर्थात् (z₁.z₂) . z₃ = z₁ . (z₂.z₃)
4. किसी सम्मिश्र संख्या z = (x + iy) के लिए एक ऐसी सम्मिश्र संख्या 1, अर्थात् (1 + 0i), इस प्रकार कि z . 1 = 1 . z = z होता है। यह संख्या 1 गुणन के लिए तत्समक अवयव कहलाती है।

6. किन्हीं तीन सम्मिश्र संख्या z₁, z₂ और z₃ के लिए ,
z₁ . (z₂ + z₃) = z₁ . z₂ + z₁ . z₃ तथा (z₁ + z₂) . z₃ = z₁ . z₃ + z₂ . z₃ अर्थात् सम्मिश्र संख्याओं के लिए गुणन, योग पर वितरित (या बंटित) है।

5.1.9 एक सम्मिश्र संख्या का मापांक या निरपेक्ष मान
मान लीजिए कि z = a + ib एक सम्मिश्र संख्या है। तब, इसके वास्तविक भाग के वर्ग और काल्पनिक

5.1.10 एक सम्मिश्र संख्या के मापांक के गुण


5.2 ऑर्गंड तल
किसी सम्मिश्र संख्या z = a + ib को समकोणिक अक्षों के एक युग्म के सापेक्ष एक कार्तीय (तल) में एक अद्वितीय बिंदु (a, b) के रूप में निरूपित किया जा सकता है। सम्मिश्र संख्या 0 + 0i मूल बिंदु O ( 0, 0) को निरूपित करती है। एक शुद्धता वास्तविक संख्या a, अर्थात् (a + 0i) को x-अक्ष पर स्थित बिंदु (a, 0) से निरूपित किया जाता है। इसीलिए, x-अक्ष को वास्तविक अक्ष कहते हैं। एक शुद्धतः काल्पनिक संख्या ib, अर्थात् (0 + ib) को y-अक्ष स्थित बिंदु (0, b) से निरूपित किया जाता है। इसीलिए, y-अक्ष को काल्पनिक अक्ष कहते हैं।
इसी प्रकार, तल में सम्मिश्र संख्याओं के बिंदुओं द्वारा निरूपण को आर्गंड आरेख (Argand diagram) कहते हैं। वह तल जिस पर सम्मिश्र संख्याओं को बिंदुओं के रूप में निरूपित किया जाता है। सम्मिश्र तल या आर्गंड तल या गाउसनीय तल कहलाता है। यदि एक सम्मिश्र तल में, दो सम्मिश्र संख्या z₁ और z₂ को क्रमशः बिंदुओं P और Q से निरूपित किया जाता है, तो |z₁ – z₂| = PQ
5.2.1 एक सम्मिश्र संख्या का ध्रुवीय रूप
मान लीजिए कि P आर्गंड तल में एक शून्येत्तर सम्मिश्र संख्या z = a + ib को निरूपित करने वाला
एक बिंदु है। यदि OP, x-अक्ष की धनात्मक दिशा से कोण θ बनाये तो z = r (cosθ + isinθ) इस

5.2.2 एक द्विघात समीकरण का हल समीकरण ax₂ + bx + c = 0 जहाँ a, b और c संख्याएँ (वास्तविक या सम्मिश्र, a ≠ 0 हैं, चर x में एक व्यापक द्विघात समीकरण कहलाता है। चर के वे मान जो इस समीकरण को संतुष्ट करते हैं, इसके मूल कहलाते हैं।

टिप्पणियां
1. जब D = 0 है, तो द्विघात समीकरण के मूल वास्तविक और बराबर (समान) होते हैं। जब D > 0 है, तो मूल वास्तविक और असमान होते हैं। साथ ही, यदि a, b, c ∈ Q और D एक पूर्ण वर्ग है, तो समीकरण के मूल परिमेय और असमान होते हैं तथा यदि a, b, c ∈ Q और D एक पूर्ण वर्ग नहीं है, तो मूल अपरिमेय होते हैं और एक युग्म के रूप में होते हैं। जब D < 0 तो द्विघात समीकरण के मूल अवास्तविक (सम्मिश्र) होते हैं।

3. मान लीजिए कि किसी द्विघात समीकरण के मूलों का योग S है और मूलों का गुणनफल P है, तो वह समीकरण x² – Sx + P = 0 होता है।
5.3. हल किए हुए उदाहरण
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA)







उदाहरण 9 यदि एक सम्मिश्र संख्या z त्रिज्या 3 इकाई और केंद्र (– 4, 0) वाले एक वृत्त के अभ्यंतर या उसकी परिसीमा पर स्थित है, तो |z +1| के अधिकतम और न्यूनतम मान ज्ञात कीजिए।
हल : z को निरूपित करने वाले बिंदु की वृत्त के केंद्र से दूरी |z -(-4 + i0)| = |z+4|


उदाहरण 13 a का वह मान ज्ञात कीजिए जिसके लिए समीकरण x² – (a – 2) x – (a + 1) = 0 के मूलों के वर्गों का योग न्यूनतम है।
हल मान लीजिए कि α, β दिए हुए समीकरण के मूल हैं।
अतः, α + β = a – 2 और αβ = – ( a + 1)
अब, α² + β² = (α + β)² – 2αβ
= (a – 2)² + 2 (a + 1)
= (a – 1)² + 5
अतः α² + β² न्यूनतम होगा, जब (a – 1)² = 0, अर्थात् a = 1
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA)
उदाहरण 14 यदि सम्मिश्र संख्याओं z₁ और z₂ के लिए,



वस्तुनिष्ठ प्रश्न
उदाहरण 16 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः
(i) ‘a’ का वास्तविक मान जिसके लिए 3i³ – 2ai² + (1 – a)i + 5 _______________होगा।

(vi) यदि एक सम्मिश्र संख्या तीसरे चतुर्थांश में स्थित है, तो उसका संयुग्मी _________ में स्थित होगा।
(viii) यदि (2 + i) (2 + 2i) (2 + 3i) … (2 + ni) = x + iy तो 5.8.13 … (4 + n²) = __________

(vi) किसी सम्मिश्र संख्या का संयुग्मी x-अक्ष के सापेक्ष उसका प्रतिबिंब होता है। अतः, एक संख्या
तीसरे चतुर्थांश में स्थित है, तो उसका प्रतिबिंब दूसरे चतुर्थांश में स्थित होगा।
(vii) दिया हैः (2 + i) (2 + 2i) (2 + 3i) … (2 + ni) = x + iy ….1

उदाहरण 17 बताइए कि निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है और कौन सा असत्य है।
(i) एक शून्येतर सम्मिश्र संख्या को i से गुणा करने पर, वह उसे वामावर्त दिशा में एक समकोण पर घुमा देता है।
(ii) सम्मिश्र संख्या cosθ + i sinθ, θ के किसी मान के लिए शून्य हो सकती है।
(iii) यदि कोई सम्मिश्र संख्या अपने संयुग्मी के साथ संपाती है, तो वह संख्या अवश्य ही काल्पनिक अक्ष पर स्थित होना चाहिए।

हल
(i) सत्य, मान लीजिए कि OP द्वारा निरूपित सम्मिश्र संख्या z = 2 + 3i है। तब, iz = –3 + 2i रेखाखंड OQ से निरूपित होगा, जहाँOP वामावर्त दिशा में एक समकोण पर घूमने पर OQ के संपाती हो जाता है।
(ii) असत्य, क्योंकि cosθ + isinθ = 0 ⇒ cosθ = 0 और sinθ = 0. परंतु θ का कोई ऐसा मान
नहीं है, जिसके लिए cosθ और sinθ एक साथ शून्य होंगे।
(iii) असत्य, क्योंकि x + iy = x – iy ⇒ y = 0 ⇒ संख्या x-अक्ष पर स्थित है।










उदाहरण 28 से 33 तक प्रत्येक के लिए दिए हुए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए (M.C.Q.):
उदाहरण 29 यदि सम्मिश्र संख्या z = x + iy प्रतिबंध |z + 1|= 1 को संतुष्ट करती है, तो z स्थित हैः
(a) x-अक्ष पर
(b) केंद्र (1, 0) और त्रिज्या 1 इकाई वाले एक वृत्त पर
(c) केंद्र (–1, 0) और त्रिज्या 1 वाले वृत्त पर
(d) y-अक्ष पर

उदाहरण 30 सम्मिश्र संख्याओं z, – iz और z + iz द्वारा सम्मिश्र तल में बनाये गये त्रिभुज का क्षेत्रफल है।

उदाहरण 31 समीकरण |z+1-1|= |z-1+i| निरूपित करता है एक
(A) सरल रेखा (B) वृत्त
(C) परवलय (D) अतिपरवलय
हल |z+1-1|= |z-1+i|
⇒ |z-( -1+i )=z-( -1+i )|
⇒ PA = PB , बिंदु (–1, 1) को व्यक्त करता है, B बिंदु (1, –1) को व्यक्त करता है
तथा P बिंदु (x, y) को व्यक्त करता है।
⇒ z रेखाखंडAB के लंब समद्विभाजक पर स्थित है और लंब समद्विभाजक एक सरल रेखा होती है।
उदाहरण 32 समीकरण z²+|z|²=0, z ≠ 0 के हलों की संख्या है –
(A) 1 (B) 2 (C) 3 (D) अपरिमित रूप से अनेक
हल : z²+|z|²=0, z ≠ 0
⇒ x² – y² + i2xy + x² + y² = 0
⇒ 2x² + i2xy = 0 2x (x + iy) = 0 ⇒ x = 0 या x + iy = 0 (संभव नहीं)
इसलिएः, x = 0 और z ≠ 0
इसी प्रकार, y का कोई भी वास्तविक मान हो सकता है। इसीलिए, अपरिमित रूप से अनेक हल।


5.4 प्रश्नावली
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA)


11. समीकरण |z| = z + 1 + 2i को हल कीजिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA)
12. यदि |z+1| = z + 2 (1 + i) है तो z ज्ञात कीजिए।
13. यदि arg (z – 1) = arg (z + 3i) है x – 1 : y. ज्ञात कीजिए जहाँ z = x + iy

16. यदि z₁ और z₂ दो ऐसी सम्मिश्र संख्याएँ हैं ताकि |z₁= z₂|और arg (z1) + arg (z2) = π, तो


20. यदि सम्मिश्र संख्या z₁ और z₂ के लिए arg (z₁) – arg (z₂) = 0, तब दर्शाइए कि |z₁- z₂| =|z₁| – |z₂|
21. समीकरणों के निकाय Re (z²)=0 |z=2| को हल कीजिए

25. निम्नलिखित में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः

26. बताइए कि निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है और कौन सा कथन असत्य है
(i) सम्मिश्र संख्याओं के समुच्चय में क्रम संबंध परिभाषित है।
(ii) एक शून्येत्तर सम्मिश्र संख्या का – i से गुणन उस सम्मिश्र संख्या द्वारा निरूपित बिंदु का मूल बिंदु के परित वामावर्त दिशा में एक समकोण पर घूर्णन कर देता है।
(iii) किसी भी सम्मिश्र संख्या z के लिए, |z| + |z-1| का कम से कम मान 1 है।
(iv) |z-1| = |z-i को निरूपित करने वाला बिंदु पथ (1, 0) और (0, 1) को मिलाने वाली रेखा पर एक लंब रेखा है।
(v) यदि z एक ऐसी सम्मिश्र संख्या है कि z ≠ 0 और Re (z) = 0, तो Im (z²) = 0
(vi) असमिका |z-4| < |z-2 असमिका x > 3 से प्रदत्त क्षेत्र को निरूपित करती है।
(vii) मान लीजिए कि z₁ और z₂ दो ऐसी सम्मिश्र संख्याएँ हैं कि |z₁+z₂| = |z₁| + |z₂|
तब arg (z₁ – z₂) = 0 (viii) दो एक सम्मिश्र संख्या है।
27. स्तंभ A और स्तंभ B के कथनों का सही मिलान कीजिएः


29. |z₁| = |z₂| तब क्या z₁ = z₂


प्रश्न 35 से 50 तक प्रत्येक में दिए हुए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए (M.C.Q):
35. निम्नलिखित में से किसके लिए, sinx + i cos 2x vkSj cos x – i sin 2xपरस्पर संयुग्मी हैं


यदि α²+ β² =
(A) 1 (B) – 1 (C) 2 (D) – 2
41. किन्हीं दो सम्मिश्र संख्याओं z₁ तथा z₂ के लिए, निम्नलिखित में से कौन सही है?
(A) |z₁z₂| =|z₁| |z₂|
(B) arg (z₁z₂) = arg (z₁). arg (z₂)
(C) |z₁+z₂| = |z₁| +|z₂|
(D) |z₁+z₂| ≥ |z₁| −|z₂|
42. यदि सम्मिश्र संख्या 2 – i से निरूपित बिंदु को मूलबिंदु के प्रति दक्षिणावर्त दिशा में एक कोण 2/π पर घुमाया जाए, तो उस बिंदु की नयी स्थिति होगी
(A) 1 + 2i (B) –1 – 2i (C) 2 + i (D) –1 + 2 i
43. मान लीजिए कि x, y ∈ R, तो x + iy एक अवास्तविक सम्मिश्र संख्या है, यदि
(A) x = 0 (B) y = 0 (C) x ≠ 0 (D) y ≠ 0
44. यदि a + ib = c + id, तो
(A) a² + c² = 0
(B) b² + c² = 0
(C) b² + d² = 0
(D) a² + b² = c² + d²

(A) वृत्त x² + y² = 1पर (B) x-अक्ष पर
(C) y-अक्ष पर (D) रेखा x + y = 1 पर
46. यदि z एक सम्मिश्र है तो
(A) |z|²>|z|² (B) |z|²=|z|² (C) |z²|<|z|² (D) |z|²≥|z|² ≥ |z₁| −|z₂|
47. |z₁ + z₂| =|z₁| + |z₂| संभव है यदि



उत्तरमाला अध्याय 5 (सम्मिश्र संख्याएँ एवं द्विघात समीकरण)

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