भौतिक विज्ञान विषय की अच्छी तैयारी के लिए कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – गुरुत्वाकर्षण यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे छात्र जो भौतिक विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपनी तैयारी के लिए यहाँ गुरुत्वाकर्षण के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर मिल जाएंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर की जानकारी किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक होती है। इस पेज में NCERT Book के यूनिट 8 – गुरुत्वाकर्षण के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
श्रोत – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
कक्षा: 11
विषय: भौतिक विज्ञान
अध्याय: यूनिट 8 – गुरुत्वाकर्षण
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – गुरुत्वाकर्षण
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान विषय के यूनिट 8 – गुरुत्वाकर्षण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहाँ प्राप्त करें।
बहु विकल्पीय प्रश्न I (MCQ I)
8.1- पृथ्वी एक गोले का सन्निकट रूप है। यदि इसके अभ्यंतर में हर स्थान पर एक समान घनत्व का द्रव्य नहीं है, तो पृथ्वी के पृष्ठ पर गुरुत्वीय त्वरण
(a) केंद्र की ओर निर्दिष्ट होगा, परंतु हर स्थान पर समान नहीं होगा।
(b) का हर स्थान पर समान मान होगा परंतु केंद्र की ओर निर्दिष्ट नहीं होगा।
(c) परिमाण में हर स्थान पर समान तथा केंद्र की ओर निर्दिष्ट होगा।
(d) किसी भी बिंदु पर शून्य नहीं हो सकता।
8.2- पृथ्वी से प्रेक्षण करने पर सूर्य लगभग वृत्ताकार कक्षा में गति करता प्रतीत होता है। बुध जैसे किसी अन्य ग्रह की गति के लिए पृथ्वी से प्रेक्षण करने पर भी यह बात
(a) इसी प्रकार सत्य होगी।
(b) सत्य नहीं होगी क्योंकि पृथ्वी एवं बुध के बीच बल व्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुसार नहीं होता।
(c) सत्य नहीं होगी क्योंकि बुध पर प्रमुख गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य के कारण है।
(d) सत्य नहीं होगी क्योंकि बुध गुरुत्वाकर्षण बलों के अतिरिक्त अन्य बलों से भी प्रभावित होता है।
8.3- पृथ्वी के विभिन्न बिंदु सूर्य से कुछ भिन्न दूरियों पर होते हैं। अतः गुरुत्वाकर्षण के कारण भिन्न बलों का अनुभव करते हैं। एक दृणपिंडो के लिए हम जानते हैं कि यदि इसके
भिन्न बिंदुओं पर भिन्न-भिन्न बल कार्य करें, तो इसकी परिणामी गति इस प्रकार होगी। जैसे कि एक नेट बल इसके द्रव्यमान केंद्र पर आरोपित होकर इसमें स्थानंतरीय गति उत्पन्न कर रहा हो तथा नेट बल-आघूर्ण द्रव्यमान केंद्र से गुजरने वाले अक्ष के परितः घूर्णी गति उत्पन्न कर रहा हो। पृथ्वी-सूर्य निकाय के लिए पृथ्वी में एक समान घनत्व के गोले के सदृश्य मानकर
(a) बल आघूर्ण शून्य है।
(b) बल आघूर्ण पृथ्वी को चक्रण कराता है।
(c) दृढ़पिंड परिणाम यहाँ लागू नहीं होता क्योंकि पृथ्वी दृढ़पिंड के सदृश्य भी नहीं है।
(d) बल आघूर्ण पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर गति कराता है।
8.4- पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे उपग्रहों की आयु परिमित होती है तथा कभी-कभी उपग्रहों का कचरा पृथ्वी पर गिरता है। इसका कारण यह है कि-
(a) सौर सेल तथा बैटरियाँ समाप्त हो जाती हैं।
(b) गुरुत्वाकर्षण नियम भीतर की ओर सर्पिल प्रक्षेप का संकेत देता है।
(c) श्यान बल उपग्रह की चाल को कम करते हैं और इस प्रकार उपग्रह की ऊँचाई धीरे-धीरे घटती है।
(d) अन्य उपग्रहों से संघट्ट होता है।
8.5- पृथ्वी तथा चंद्रमा दोनों पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करता है, सूर्य से प्रेक्षण करने पर चंद्रमा की कक्षा
(a) दीर्घवृत्तीय होगी।
(b) पूर्णरूप से दीर्घवृत्तीय नहीं होगी क्योंकि उस पर लगा कुल गुरुत्वाकर्षण बल केंद्रीय नहीं है।
(c) दीर्घवृत्तीय नहीं होगी, परंतु आवश्यक रूप से एक बंद वक्र होगी।
(d) पृथ्वी के अतिरिक्त अन्य ग्रहों के प्रभाव के कारण दीर्घवृत्तीय से काफी भिन्न होगी।
8.6- हमारे सौर परिवार के अंतराग्राहिक क्षेत्रा में द्रव्य के टुकड़े (ग्रहों की तुलना में, आमाप में बहुत छोटे) विद्यमान हैं जिन्हें क्षुद्रग्रह कहते हैं।
(a) सूर्य की तुलना में बहुत कम द्रव्यमान के होने के कारण सूर्य के चारों ओर गति नहीं करेंगे।
(b) अपने लघु द्रव्यमानों के कारण अनियमित ढंग से गति करेंगे तथा बाह्य अंतरिक्ष में चले जाएँगे।
(c) बंद कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर गति करेंगे, परंतु केप्लर के नियमों का पालन नहीं करेंगे।
(d) ग्रहों की भाँति कक्षाओं में गति करेंगे तथा केप्लर के नियमों का पालन करेंगे।
8.7- असत्य (गलत) विकल्प का चयन कीजिए-
(a) जड़त्वीय द्रव्यमान किसी बाह्य बल द्वारा किसी पिंड को त्वरित करने में कठिनाई की माप है जबकि गुरुत्वीय द्रव्यमान उस पर किसी बाह्य द्रव्यमान द्वारा गुरुत्वाकर्षण
बल के निर्धारण में प्रासंगिक होता है।
(b) गुरुत्वीय द्रव्यमान तथा जड़त्वीय द्रव्यमान समान होते हैं यह एक प्रायौगिक परिणाम है।
(c) गुरुत्वीय द्रव्यमान तथा जड़त्वीय द्रव्यमान समान होने के कारण पृथ्वी पर सभी वस्तुओं के लिए गुरुत्वीय त्वरण समान होता है।
(d) प्रोटाॅन जैसे कणों का गुरुत्वीय द्रव्यमान आस-पास के भारी पिंडो की उपस्थिति पर निर्भर कर सकता है जबकि जड़त्वीय द्रव्यमान ऐसा नहीं कर सकता।
8.8- 2M, m तथा M द्रव्यमान के कण क्रमशः A,B तथा C बिदुओं पर इस प्रकार स्थित हैं कि AB = ½ (BC) है तथा M की तुलना में m बहुत छोटा है और समय t = 0 पर ये सभी विराम में हैं (चित्र के अनुसार)। तदनंतर , किसी संघट्ट से पूर्व-

(a) m विराम में रहेगा।
(b) m, M की ओर गति करेगा।
(c) m, 2M की ओर गति करेगा।
(d) m दोलनी गति करेगा।
बहु विकल्पीय प्रश्न II (MCQ II)
8.9- नीचे दिए गए कौन से विकल्प सही हैं?
(a) गुरुत्वीय त्वरण ऊँचाई बढ़ने पर घटता है।
(b) गहराई बढ़ने पर गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता है (पृथ्वी को एक समान घनत्व का गोला मानिए)।
(c) अक्षांश बढ़ने पर गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता है।
(d) गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
8.10- यदि गुरुत्वाकर्षण नियम व्युत्क्रम वर्ग नियम से व्युत्क्रम घन नियम हो जाए, तो
(a) ग्रहों की कक्षा दीर्घवृत्तीय नहीं होंगी।
(b) ग्रहों की वृत्ताकार कक्षाएँ संभव नहीं होंगी।
(c) हाथ से पृथ्वी के पृष्ठ पर फेंके गए पत्थर की प्रक्षेप गति लगभग परवलीय होगी।
(d) एक समान घनत्व वेफ गोलीय खोल वेफ भीतर कोई गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होगा।
8.11- यदि सूर्य का द्रव्यमान 10 गुना छोटा तथा गुरुत्वीय नियतांक G परिणाम में 10 गुना बड़ा हो, तो
(a) पृथ्वी पर चलना अधिक कठिन हो जाएगा।
(b) पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण में परिवर्तन नहीं होगा।
(c) वर्षा की बूँद अत्यधिक तेजी से गिरेंगी।
(d) वायुयान को अधिक तीव्रता से चलना पड़ेगा।
8.12- यदि सूर्य तथा पृथ्वी पर विशाल मात्रा के विजातीय आवेश हों, तो
(a) केप्लर के सभी तीनों नियम फिर भी वैध रहेंगे।
(b) केवल तीसरा नियम वैध होगा।
(c) दूसरे नियम में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(d) पहला नियम फिर भी वैध होगा।
8.13- ऐसे संकेत हैं कि गुरुत्वीय नियतांक G का मान भविष्य में अत्यधिक बड़े समय के पश्चात्
(लाखों/करोड़ों वर्ष में) कम होता जाएगा। यदि हमारी पृथ्वी के लिए ऐसा हो, तो
(a) कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(b) लाखों/करोड़ों वर्ष के पश्चात् हम (पृथ्वी) अधिक तप्त हो जाएंगे।
(c) पृथ्वी परिक्रमण (सूर्य की) करेगी। पूर्णतः बंद कक्षाओं में नहीं।
(d) काफी अधिक समय के पश्चात् हम (पृथ्वी) सौर परिवार को छोड़ देंगे।
8.14- मान लीजिए r₁ और r₂ पर स्थित दो द्रव्यमानों m₁ तथा m₂ के बीच गुरुत्वाकर्षण बलों F₁ तथा F₂ के लिए न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम का

(a) पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण विभिन्न पिंडो के लिए भिन्न-भिन्न होगा।
(b) केप्लर के तीनों नियमों में से कोई भी वैध नहीं होगा।
(c) केवल तीसरा नियम ही अवैध हो जाएगा।
(d) n के ऋणात्मक होने पर जल से हल्के पिंड जल में डूब जाएँगे।
8.15- निम्नलिखित में कौन सत्य है?
(a) कोई धु्रवीय उपग्रह पृथ्वी के ध्रुवों के परितः उत्तर-दक्षिण दिशा में गति करता है।
(b) कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के परितः पूर्व-पश्चिम दिशा में गति करता है।
(c) कोई तुल्यकाली-उपग्रह पृथ्वी के परितः पश्चिम-पूर्व दिशा में गति करता है।
(d) कोई धु्रवीय उपग्रह पृथ्वी के परितः पूर्व-पश्चिम दिशा में गति करता है।
8.16- पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी विस्तारित पिंड का द्रव्यमान केंद्र तथा इसका गुरुत्व केंद्र
(a) सदैव एक ही बिंदु पर होते हैं चाहे पिंड का साइज़ कुछ भी हो।
(b) केवल गोलीय पिंडो के लिए सदैव एक ही बिंदु पर होते हैं।
(c) कभी भी एक बिंदु पर नहीं हो सकते।
(d) आमाप में 100 m से छोटे पिंडो के लिए एक दूसरे के निकट होते हैं।
(e) यदि पिंड को पृथ्वी के भीतर बहुत गहराई तक ले जाएँ तो ये दोनों परिवर्तित हो सकते हैं।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (VSA)
8.17- वायुमंडल में वायु के अणु पृथ्वी के गुरुत्व बल द्वारा आकर्षित किए जाते हैं। स्पष्ट कीजिए, ये सभी वृक्ष से सेब की भाँति पृथ्वी पर क्यों नहीं गिरते?
8.18- केंद्रीय बल तथा अकेंद्रीय बल का एक-एक उदाहरण दीजिए।
8.19- मंगल के लिए क्षेत्रीय वेग तथा समय के बीच ग्राफ आरोपित कीजिए।
8.20- सूर्य के परितः पृथ्वी के क्षेत्रीय वेग की दिशा क्या है?
8.21- दो बिंदु द्रव्यमानों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार प्रभावित हो जाएगा, यदि इनके बीच के पृथकन को समान रखते हुए उन्हें जल में डुबा दिया जाता है?
8.22- क्या यह संभव है कि किसी पिंड में जड़त्व हो परंतु भार हो?
8.23- हम किसी आवेश का विद्युत क्षेत्रों से परिरक्षण उसे खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या हम किसी पिंड का पास के द्रव्य के गुरुत्वीय प्रभाव से परिरक्षण उसे किसी खोखले गोले के भीतर रखकर अथवा किसी अन्य विधि द्वारा कर सकते हैं?
8.24- किसी छोटे अंतरिक्षयान में, जो पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा कर रहा है, बैठा कोई अंतरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष स्टेशन का साइज बड़ा है, तो वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है?
8.25- किसी खोखले गोलीय खोल (त्रिज्या r और एक समान घनत्व का) तथा बिंदु द्रव्यमान के बीच गुरुत्वकर्षण बल F है। F तथा r के बीच ग्राप की प्रकृति दर्शाइए जबकि r बिंदु एक समान घनत्व के खोखले गोलीय खोल के केंद्र से दूरी है।
8.26 अपसौर और उपसौर स्थितियों में से किस पर पृथ्वी का वेग अधिक होगा? क्यों?
8.27- विषुवत रेखीय समतल तथा निम्नलिखित के कक्षीय समतल के बीच कितना कोण होता है?
(a) ध्रुवीय उपग्रह
(b) तुल्य काली उपग्रह
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA)
8.28- माध्य सौर दिन उन दो क्रमागत दोपहरों के बीच का काल-अंतराल है जब सूर्य शिरो बिंदु (ध्रुव वृत्त) से गुजरता है। नक्षत्र दिन किसी दूरस्थ सौर के मध्य बिंदु (शिरो वृत्त) (ध्रुव वृत्त) से दो क्रमागत संक्रमणों के बीच काल-अंतराल है।
उपयुक्त आरेख खींचकर, जो पृथ्वी का चक्रण तथा कक्षीय गति दर्शाता हो, यह दर्शाइए कि माध्य सौर दिन नक्षत्र दिन से 4 मिनट अधिक अवधि का होता है। दूसरे शब्दों में,
दूरस्थ तारा प्रत्येक क्रमागत दिनों में 4 मिनट पहले उद्य होगा। (संकेत: आप पृथ्वी की कक्षा वृत्ताकार मान सकते हैं)।
8.29- दो सर्वसम भारी गोलों के बीच की दूरी उनकी त्रिज्याओं का 10 गुना है। इन दोनों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिंदु पर कोई पिंड स्थायी साम्य में होगा अथवा अस्थायी साम्य में? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
8.30- पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करते उपग्रह के लिए निम्नलिखित ग्राफों की प्रकृति दर्शाइए।
(a) गतिज ऊर्जा और कक्षीय त्रिज्या R के बीच
(b) स्थिैतिज ऊर्जा और कक्षीय त्रिज्या R के बीच
(c) कुल ऊर्जा और कक्षीय त्रिज्या R के बीच
8.31- चित्र में कई वक्र दर्शाए गए हैं। (वायु के घर्षण की उपेक्षा करके) तर्क सहित यह स्पष्ट कीजिए कि इनमें से कौन-से वक्र किसी प्रक्षेप्य के संभावित प्रक्षेप-पथ हो
सकते हैं।

8.32- m द्रव्यमान के किसी पिंड को पृथ्वी के पृष्ठ से पृथ्वी की त्रिज्या के बराबर ऊँचाई तक ऊपर उठाया जाता है, अर्थात् उसे पृथ्वी के केंद्र से R से 2R दूरी तक ले जाया जाता है। इसकी स्थिैतिज ऊर्जा में लब्धि कितनी है।
8.33- r त्रिज्या तथा M द्रव्यमान के किसी पतले वृत्ताकार छल्ले के केंद्र से गुजरने वाले अभिलंब के अनुदिश h दूरी पर स्थित बिंदु P पर कोई द्रव्यमान m रखा है (चित्र के अनुसार)।

यदि इस द्रव्यमान को और अधिक दूरी पर इस प्रकार ले जाएँ कि OP = 2h हो जाये, तो यदि h = r है, तो गुरुत्वाकर्षण बल कितना गुना कम हो जायेगा?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA)
8.34- सूर्य के समान किसी तारे के चारों ओर कई पिंड विभिन्न दूरियों पर गति कर रहे हैं। यह मानिए कि सभी वृत्ताकार कक्षाओं में गमन करते हैं। मान लीजिए कि तारे के केंद्र से दूरी r है तथा इसका रैखिक वेग v, कोणीय वेग w, गतिज ऊर्जा K, गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा U, कुल ऊर्जा E तथा कोणीय संवेग L है। जैसे-जैसे कक्षा की त्रिज्या r में वृद्धि होती है, तो उपरोक्त राशियों में से किनमें वृद्धि होती है और किनमें कमी होती है?
8.35- भुजा L के किसी नियमित षटभुज के शीर्षों पर m द्रव्यमान के छः बिंदु-द्रव्यमान स्थित हैं। इनमें से किसी भी द्रव्यमान पर कुल गुरुत्वाकर्षण बल परिकलित कीजिए।
8.36- संचार के लिए पृथ्वी की विषुवतीय तुल्यकाली कक्षा में किसी उपग्रह को स्थापित किया जाता है।
(a) इस प्रकार के उपग्रह की ऊँचाई परिकलित कीजिए।
(b) उपग्रहों की वह न्यूनतम संख्या ज्ञात कीजिए जो संचार के लिए समस्त पृथ्वी की व्याप्ति के लिए आवश्यक हो तथा विषुवत् वृत्त के किसी बिंदु से कम से कम एक उपग्रह अवश्य दिखाई दे।
[M = 6 × 1024 kg, R = 6400 km,
T = 24hr, G = 6.67 × 10–11 SI इकाई]
8.37- पृथ्वी की कक्षा 0.0167 उत्केंद्रता का दीर्घवृत्त है। इस प्रकार, पृथ्वी की सूर्य से दूरी तथा चाल जिससे यह सूर्य की परिक्रमण करती है प्रतिदिन परिवर्तित होती है। इसका यह अर्थ है कि पूरे वर्ष में सौर दिन नियत नहीं है। मान लीजिए कि पृथ्वी का घूर्णन अक्ष इसके कक्षीय तल के अभिलंबवत् है, तब सबसे छोटे तथा सबसे बड़े दिन की अवधि (लंबाई) ज्ञात कीजिए। दोपहर से दोपहर तक के समय को एक दिन मानिए। क्या इससे वर्ष की अवधि में दिन की लंबाई में परिवर्तन स्पष्ट होता है?
8.38- कोई उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर किसी दीर्घवृत्तीय कक्षा में 6 R के अपसौर तथा 2 R के अपसौर सहित परिक्रमण कर रहा है जबकि R = 6400 km पृथ्वी की त्रिज्या है। कक्षा की उत्केंद्रता ज्ञात कीजिए। भूमिउच्च तथा भूमिनीच पर उपग्रह के वेग ज्ञात कीजिए। यदि इस उपग्रह को 6 R त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा में स्थानांतरित करना हो तो क्या किया जाना चाहिए?
उत्तरमाला अध्याय 8 (गुरुत्वाकर्षण)


8.17- जैसे पेड़ से गिरता हुआ सेव ऊर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर गुरुत्व बल का अनुभव करता है वैसे ही अणु भी उर्ध्वाधरतः नीचे की ओर गुरुत्व बल का अनुभव करते हैं। तापीय गति के कारण, जो कि यादृच्छिक होती है, इनके वेग ऊर्ध्वाधर दिशा में नहीं होते। गुरुत्व के नीचे की ओर लगने वाले बल के कारण वायु का घनत्व भूतल के निकट अधिक होता है और जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर जाते हैं इसका मान कम होता जाता है।
8.18- केंद्रीय बल – एक बिंदु द्रव्यमान का गुरुत्वाकर्षण बल, बिंदु आवेश के कारण स्थिर विद्युतीय बल।
अकेंद्रीय बलः स्पिन-निर्भर नाभिकीय बल, दो धारावाही लूपों के बीच चुंबकीय बल।

8.21- इसका मान उतना ही बना रहता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल द्रव्यमानों के बीच के माध्यम पर निर्भर नहीं करता।
8.22- जी हाँ, पिंड में द्रव्यमान तो हमेशा बना रहता है, परंतु इस पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल शून्य हो सकता है जैसा कि तब होता है जब इस पिंड को पृथ्वी के केंद्र पर रखा जाता है।
8.23- जी नहीं।
8.24- जी हाँ, यदि अंतरिक्षयान का साइज इतना अधिक हो कि ह में होने वाले परिवर्तन का पता चल सकता हो।

8.26- उपसौर स्थिति में, क्योंकि तब पृथ्वी के क्षेत्रीय वेग अचर बनाए रखने के लिए अधिक रेखीय दूरी तय करनी होती है।
8.27- (a) 90⁰ (b) 0⁰

8.31- पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन किसी कण (पृथ्वी के बाहर गति के लिये) का गमन पथ एक शांकव होगा जिसका फोकस पृथ्वी का केंद्र होगा। केवल (c) ही इस शर्त
को पूरा करता है।
8.32- mgR/2.
8.33- केवल क्षैतिज घटक (अर्थात् m तथा 0 को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश घटक) ही बचेगा। वलय के किसी बिंदु पर बल का क्षैतिज घटक जिस गुणक द्वारा परिवर्तित होता है वह है-






इस पेज पर दिए गए कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – गुरुत्वाकर्षण की सहायता से छात्रों की तैयारी अच्छे तरीके से हो सकती है। परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए और अपनी तैयारी सुदृढ़ तरीके से करने के लिए छात्र इस पेज पर दिए गए महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तरों को देख सकते हैं।
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान प्रश्न उत्तर
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