भौतिक विज्ञान विषय की अच्छी तैयारी के लिए कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – भूमिका यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे छात्र जो भौतिक विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपनी तैयारी के लिए यहाँ भूमिका के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर मिल जाएंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर की जानकारी किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक होती है। इस पेज में NCERT Book के यूनिट 1 – भूमिका के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
श्रोत – राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
कक्षा: 11
विषय: भौतिक विज्ञान
अध्याय: यूनिट 1 – भूमिका
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – भूमिका
कक्षा 11 भौतिक विज्ञान विषय के यूनिट 1- भूमिका के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहाँ प्राप्त करें।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) – 2005 ने पाठ्यचर्या पुनरीकरण के एक नये दौर की शुरूआत की। सर्वप्रथम स्कूली शिक्षा के सभी चरणों के लिए विज्ञान एवं गणित के नए पाठ्यक्रम विकसित किए गए। इन पाठ्यक्रमों के आधार पर नई पाठ्य पुस्तकें विकसित की गईं। इसी क्रम में कक्षा 11 एवं 12 के लिए भौतिकी की पाठ्य पुस्तकें भी क्रमशः 2006 एवं 2007 में प्रकाशित हुई हैं।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF)–2005 में व्यक्त एक प्रमुख सरोकार परीक्षा प्रणाली में सुधार से संबंधित है।
(NCF)–2005 के अनुसार, “एक अच्छी मूल्यांकन एवं परीक्षा प्रणाली अधिगम प्रक्रम का अभिन्न अंग बन सकती है और इससे स्वयं विद्यार्थियों और विश्वसनीय पुनर्निवेशन द्वारा शिक्षा प्रणाली, दोनों को ही लाभ हो सकता है। “इसके अतिरिक्त इस रूपरेखा का यह भी कहना है कि शिक्षा का सरोकार नागरिकों को सार्थक एवं उत्पादक जीवन के लिए तैयार करना है। मूल्यांकन एक ऐसा साधन होना चाहिए जिससे हमें उन सीमाओं में एक विश्वसनीय पुनर्निवेशन प्राप्त हो सके जिनमें हम ऐसी शिक्षा प्रदान करने में सफल हो पाए हैं। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो मूल्यांकन की वर्तमान प्रक्रियाएँ जो योग्यताओं के बहुत ही सीमित परिसर का आकलन एवं मूल्यांकन करती हैं अत्यंत अपर्याप्त हैं तथा शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में किसी व्यक्ति की योग्यता या प्रगति का पूर्ण चित्रण प्रस्तुत नहीं करती।”
एक ओर तो मूल्यांकन का उद्देश्य यह ज्ञात करना है कि किस सीमा तक अधिगम में सफलता प्राप्त हुई है और दूसरी ओर इसका उद्देश्य शिक्षण-अधिगम प्रक्रम एवं शिक्षण सामग्री में सुधार लाना है। अन्य बातों के साथ यह मापते हुए कि स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों में शिक्षार्थी में किस सीमा तक योग्यताएँ विकसित हुई हैं इसके द्वारा पूर्व निर्धारित उद्देश्यों का पुनरीक्षण भी कर सकने योग्य होना चाहिए। परीक्षणों की अभिकल्पना इस प्रकार की जानी चाहिए कि हम यह माप सकें कि बच्चों ने क्या सीखा है और इस ज्ञान का उपयोग समस्याओं को हल करने तथा वास्तविक जगत में इसके अनुप्रयोगों को लेकर उनकी योग्यता कितनी है? इसवके अतिरिक्त चिंतन प्रक्रियाओं का परीक्षण भी किया जाना चाहिए ताकि यह जाना जा सके कि क्या शिक्षार्थी ने यह भी सीखा है कि जानकारी कहाँ से प्राप्त होगी, नई जानकारियों का उपयोग, विश्लेषण एवं मूल्यांकन कैसे किया जाएगा। मूल्यांकन में इस प्रकार के प्रश्न दिए जाने चाहिए जिनके हल के लिए उसे पुस्तक से आगे अध्ययन की आवश्यकता पड़े। प्रायः बच्चों का अधिगम इसलिए प्रतिबंधित हो जाता है क्योंकि शिक्षक मार्गदर्शक पुस्तकों में दिए गए ज्ञान से अलग उनके उत्तरों को स्वीकार नहीं करते। अच्छे प्रश्नों की अभिकल्पना एक कला है और शिक्षकों को ऐसे प्रश्न सोचने एवं उनकी रचना करने में समय लगाना चाहिए।
देश के विभिन्न विद्यालयी शिक्षा बोर्डों की कार्य-प्रणालियों का प्रेक्षण करते हुए राष्ट्रीय .फोकस समूह के आलेख में परीक्षा सुधारों के संबंध में कहा गया है-
“…क्योंकि प्रश्न-पत्र न्यून गुणवत्ता के होते हैं। उनके लिए प्रायः रटने की ही आवश्यकता होती है तथा तर्क एवं विश्लेषण जैसी उच्चकोटि के कौशलों का परीक्षण वे नहीं कर पाते, फिर पार्श्विक चिंतन, सृजनशीलता तथा निर्णयपरकता के परीक्षण का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता।”
इसमें बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQ) को प्रश्न-पत्रों में सम्मिलित करने की वकालत की गई है और इन्हें इस प्रकार के प्रश्न कहा गया है जिनमें उच्च अप्रयुक्त क्षमताएँ हैं परंतु साथ ही इसमें केवल बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQ’s) के आधार पर किए जाने वाले परीक्षण की सीमाओं का भी उल्लेख है। “बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) विद्यार्थी के संकल्पनात्मक अवबोधन के स्तर की अधिक गहराई से जाँच कर सकते हैं तथा विषय की जटिलताओं के पांडित्य को माप सकते हैं। परंतु, किसी भी परीक्षा में केवल इसी प्रकार के प्रश्न नहीं हो सकते। बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ’s) तब सबसे अधिक प्रभावकारी परिणाम देते हैं जब प्रश्न-पत्र के दूसरे खंड में मुक्त उत्तरों वाले निबंधात्मक प्रश्न भी पूछे जाते हैं जो अभिव्यक्ति और संगत तथ्यों के आधार पर तर्क करने की योग्यता का परीक्षण करते हैं।”
इस समस्या समाधान के लिए विज्ञान एवं गणित शिक्षा विभाग ने वर्ष 2007.08 के दौरान कक्षा 11 के लिए “प्रश्न – प्रदर्शिका भौतिकी में अनुकरणीय अभ्यास प्रश्नों का विकास” कार्यक्रम पर कार्य करना प्रारंभ किया। इस कार्यक्रम में एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रकाशित कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक के विभिन्न अध्यायों पर आधारित अभ्यास-प्रश्नों का विकास किया गया। ये अभ्यास-प्रश्न स्थूल रूप से निम्नलिखित पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत किए गए हैं –
1. बहु विकल्पीय प्रश्न I (MCQ I): जिनमें केवल एक विकल्प सही है।
2. बहु विकल्पीय प्रश्न II (MCQII): जिनमें एक या अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।
3. अति लघुउत्तरीय प्रश्न (VSA): जिनके उत्तर एक/दो वाक्यों में दिए जा सकते हैं।
4. लघु उत्तरीय प्रश्न (SA): जिनमें कुछ विश्लेषणात्मक/आँकिक कार्य करने की आवश्यकता हो सकती है।
5. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA): जिनमें विस्तृत विश्लेषण आँकिक परिकलनों की आवश्यकता हो सकती है।
यद्यपि किसी अध्याय विशेष में दिए गए अधिकांश प्रश्न उस अध्याय में वर्णित संकल्पनाओं पर ही आधारित हैं फिर भी कुछ ऐसे प्रश्न भी बनाए गए हैं जो एक से अधिक अध्यायों की संकल्पनाओं पर आधारित हैं।
शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में शिक्षार्थियों को समस्याओं का हल करने में सम्मिलित करने का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि अधिक सक्रिय अधिगम वातावरण को प्रोत्साहित किया जाए, शिक्षार्थियों के अधिगम में सुधार लाया जाए और साथ ही युवा शिक्षकों को उनके प्रारंभिक निर्माणात्मक शिक्षण अनुभवों के दौरान, व्यावसायिक विकास के प्रयत्नों में उनकी सहायता की जाए। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उत्तम प्रश्नों पर आधारित समस्याओं को हल करना सीखना शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न अंग होना चाहिए। उत्तम प्रश्न विद्यार्थी को उत्तरोत्तर चिंतन और विश्लेषण के गहनतम स्तर पर ले जाते हैं। यह आशा की जाती है कि इस पुस्तक के प्रश्न शिक्षकों को उत्तम प्रश्नों की अभिकल्पना के लिए प्रेरित करेंगे। किसी उत्तम प्रश्न के क्या लक्षण हैं? रोबिन एल. मिलर के अनुसार- किसी उत्तम प्रश्न के कुछ अभिलक्षण इस प्रकार हैं:
- शिक्षार्थी की अभिरुचि और जिज्ञासा को प्रेरित करता है।
- शिक्षार्थी की अवबोधन के प्रबोधन में सहायता करता है।
- शिक्षार्थी को अनुमान लगाने और उनकी वैधता के विषय में तर्क करने के निरंतर अवसर प्रदान करता है।
- शिक्षार्थी के पूर्व-ज्ञान, अवबोध और/अथवा दुर्बोध को बाहर निकालता है।
- शिक्षक को निरंतर औपचारिक मूल्यांकन द्वारा यह जानने के लिए कि विद्यार्थी क्या सीख रहे हैं, साधन प्रदान करता है।
- सक्रिय अधिगम वातावरण पोषित करने के शिक्षक के प्रयासों में सहायता करता है।
विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन
इस पुस्तक में काफी बड़ी संख्या में प्रश्न दिए गए हैं। इनमें से कुछ सरल, कुछ औसत कठिनाई स्तर के, कुछ कठिन हैं और कुछ प्रश्न आपमें सर्वश्रेष्ठ के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। आपको यह परामर्श दिया जाता है कि पहले आप अपनी पाठ्यपुस्तक में दी गई संकल्पनाओं को भली-भाँति समझ लें। अपनी पाठ्यपुस्तक में दिए गए उदाहरणों एवं अभ्यासों को हल करें। उसके पश्चात् ही इस पुस्तक में दिए गए प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। ऐसी कोई निश्चित विधि नहीं है जिसका उपयोग करके आप भौतिकी का प्रत्येक प्रश्न हल कर सकते हों तथापि भौतिकी शिक्षण से सम्बद्ध शोध कार्यों से यह निष्कर्ष निकलता है कि कुछ निश्चित चरणों को क्रमवार अपना कर भौतिकी की अधिकांश समस्याओं को हल किया जा सकता है। डन स्टेयर2 द्वारा प्रस्तुत ऐसी ही एक कार्यवाही के विभिन्न चरण नीचे प्रस्तुत हैं –
1. रणनीति अभिकल्पना –
(a) हल करने की विधि के अनुसार प्रश्न का वर्गीकरण कीजिए।
(b) किसी आरेख सहित स्थिति को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
(c) लक्ष्य को आँखों से ओझल मत होने दीजिए (कदाचित इसे लिखकर रखिए)।
2. अभियोजन कार्यनीति –
(a) प्रतीकों का उपयोग कीजिए।
(b) संबंधित चरांकों को एक साथ समूहों में रखिए।
(c) सुव्यवस्थित एवं संगठित रहिए।
(d) इसे सरल बनाए रखिए।
3. उत्तर की जाँच-पड़ताल करना –
(a) विमीय सुसंगति?
(b) संख्यात्मक रूप से तर्क संगत (चिन्ह सहित)
(c) बीजगणितीय रूप से संभव? (उदाहरणतः कोई काल्पनिक अथवा अनंत उत्तर नहीं)
(d) फलनानुसार तर्कसम्मत? (उदाहरणतः जितनी अधिक प्राथमिक चाल उतना ही अधिक प्रक्षेप्य का परास)
(e) विशिष्ट प्रकरणों एवं सममिति की जाँच।
(f) संख्याओं का उल्लेख सदैव विशिष्ट मात्राकों के साथ तथा उपयुक्त सार्थक अंकों में।
हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि इस पुस्तक में दिए गए प्रश्नों का उपयोग भौतिकी की शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किया जाना चाहिए। इनमें से कुछ प्रश्नों को सीधे मूल्यांकन के लिए अपनाया जा सकता है परंतु अधिकांश को निर्धारित समय/अंकों के अनुसार उपयुक्त रूप से अनुकूलित किया जा सकता है। लघुउत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घउत्तरीय प्रश्न के अंतर्गत सम्मिलित किए गए अधिकांश प्रश्न क्रमशः अतिलघुउत्तरीय प्रश्न एवं लघुउत्तरीय प्रश्न श्रेणी के और बहुत से प्रश्नों की रचना करने के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैं।
इस पेज पर दिए गए कक्षा 11 भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – भूमिका की सहायता से छात्रों की तैयारी अच्छे तरीके से हो सकती है। परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए और अपनी तैयारी सुदृढ़ तरीके से करने के लिए छात्र इस पेज पर दिए गए महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तरों को देख सकते हैं।
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