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Home » स्कूल बोर्ड » 12th Class » कक्षा 12 गणित के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – संबंध एवं फलन

कक्षा 12 गणित के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – संबंध एवं फलन

by शुभम गुप्ता
November 6, 2019
in 12th Class
Reading Time: 18min read
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aglasem hindi
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गणित विषय की अच्छी तैयारी के लिए कक्षा 12 गणित के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – संबंध एवं फलन यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे छात्र जो गणित विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपनी तैयारी के लिए यहाँ संबंध एवं फलन के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर मिल जाएंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर की जानकारी किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक होती है। इस पेज में NCERT Book के यूनिट 1 – संबंध एवं फलन के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।

श्रोत: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद् 
कक्षा: 12
विषय: गणित 
अध्याय: यूनिट 1 – संबंध एवं फलन

कक्षा 12 गणित के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – संबंध एवं फलन

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कक्षा 12 गणित विषय के यूनिट 1- संबंध एवं फलन के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहाँ प्राप्त करें।

1.1 समग्र अवलोकन (Overview)
1.1.1 संबंध किसी अरिक्त समुच्चय A से अरिक्त समुच्चय B में संबंध् R कार्तीय गुणन A × B का एक उप-समुच्चय होता है। समुच्चय A से समुच्चय B में संबंध् R के क्रमित युग्मों के सभी प्रथम घटकों के समुच्चय को संबंध् R का प्रांत कहते हैं। समुच्चय A से समुच्चय B में संबंध् R के क्रमित युग्मों के सभी द्वितीय घटकों के समुच्चय को संबंध् R का परिसर कहते हैं। संपूर्ण समुच्चय B संबंध् R का सह-प्रांत कहलाता है। नोट कीजिए कि परिसर सदैव सह-प्रांत का एक उप-समुच्चय होता है।

1.1.2 संबंधों के प्रकार
किसी समुच्चय A से A में संबंध् R.A × A का एक उप-समुच्चय होता है। अतः रिक्त समुच्चय φ तथा A × A (स्वयं), दो अन्त्य (extreme) संबंध् हैं।
(i) किसी समुच्चय A पर परिभाषित संबंध् R एक रिक्त संबंध् कहलाता है, यदि A का कोई भी अवयव A के किसी भी अवयव से संबंध्ति नहीं है, अर्थात् R = φ ⊂ A × A
(ii) किसी समुच्चय A पर परिभाषित संबंध R एक सार्वत्रिक (universal) संबंध कहलाता है, यदि A का प्रत्येक अवयव A के सभी अवयव से संबंधित हैं, अर्थात् R=A×A

(iii) समुच्चय A पर संबंध् R स्वतुल्य (reflexive) कहलाता है, यदि सभी a∈ के लिए aRa R सममित (symmetric) कहलाता है, यदि ∀ a,b ∈ A के लिए aRb ⇒ bRa तथा यह संक्रामक (transitive) कहलाता है, यदि ∀ a,b ∈ A के लिए aRB तथा bRc ⇒ aRc कोई भी संबंध्, जो स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है, एक तुल्यता (equivalence) संबंध कहलाता है।

टिप्पणी- किसी तुल्यता-संबंध् का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि वह सबं( समुच्चय को युगलतः असंयुक्त उप-समुच्चयों में विभाजित कर देता है जिन्हें तुल्यता-वर्ग कहते हैं तथा जिनका संग्रह समुच्चय का विभाजन (partition) कहलाता है। नोट कीजिए कि सभी तुल्यता-वर्गां के सम्मिलन से संपूर्ण समुच्चय प्राप्त होता है।

1.1.3 फलनों के प्रकार
(i) कोई पफलन f:X → Y एकैकी (one-one) या एकैक (injective) फलन कहलाता है, यदि f अंतर्गत X के भिन्न-भिन्न अवयवों के प्रतिबिंब भी भिन्न-भिन्न होते हैं, अर्थात्

x1 , x2 ∈ X, f (x1) = f (x2) ⇒ x1= x2

(ii) फलन f : X → Y आच्छादक (onto) या आच्छादी (surjective) कहलाता है, यदि f के अंतर्गत Y का प्रत्येक अवयव, X के किसी न किसी अवयव का प्रतिबिंब है, अर्थात् प्रत्येक y ∈ Y के लिए, X में एक ऐसे अवयव X के अस्तित्व है कि f (x) = y
(iii) फलन f : X → Y एक एकैकी तथा आच्छादक या एकैकी आच्छादी (bijective)] कहलाता है, यदि f एकैकी तथा आच्छादक दोनों ही होता है।

1.1.4 फलनों का संयजोन

(i) मान लिजिए कि f : A → B तथा g : B → C दो फलन हैं। तब f तथा g का संयोजन, g o f, द्वारा निरूपित फलन g o f : A → C निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित है। g o f (x) = g (f (x)), ∀ x ∈ A

(ii) यदि f : A → B तथा g : B → C एकैकी हैं तो g o f : A → C भी एकैकी होता है।

(iii) यदि f : A → B तथा g : B → C आच्छादक हैं तो g o f : A → C भी आच्छादक होता है। तथापि, उपर्युक्त कथित नियम (परिणाम) (ii) तथा (iii) के विलोम आवश्यक रूप में सत्य नहीं होते हैं। इसके अतिरिक्त इस संबंध में निम्नलिखित नियम (परिणाम) हैं।

(iv) मान लिजिए कि f : A → B तथा g : B → C दो दिए हुए फलन इस प्रकार है कि g o f एकैकी है, तो f भी एकैकी है।

(v) मान लिजिए कि f : A → B तथा g : B → C दो दिए हुए फलन इस प्रकार हैं कि g o f आच्छादी है, तो g भी आच्छादी है।

1.1.5 व्युत्क्रमणीय फलन

(i) कोई फलन f : X → Y व्युत्क्रमणीय होता है, यदि एक फलन g : Y → X का अस्तित्व इस प्रकार है कि g o f = I तथा f o g = IY. फलन g को फलन f का प्रतिलोभ कहते हैं तथा प्रतीक f –1 से निरूपित करते हैं।

(ii) एक फलन f : X → Y व्युत्क्रमणीय होता है, यदि और केवल यदि f एकैकी आच्छादी है।

(iii) यदि f : X → Y, g : Y → Z तथा h : Z → S तीन फलन हैं, तो h o (g o f) = (h o g) o f

(iv) मान लिजिए कि f : X → Y तथा g : Y → Z दो व्युत्क्रमणीय फलन हैं तो g o f भी व्युत्क्रमणीय होता है, इस प्रकार कि (g o f) –1 = f –1 o g–1.

1.1.6 द्वि-आधारी संक्रियाएं

(i) किसी समुच्चय A में एक द्वि-आधारी संक्रिया एक फलन : A × A →A है। हम (a, b) dks a * b द्वारा निरूपित करते हैं।

(ii) समुच्चय X में एक द्वि-आधारी संक्रिया क्रम-विनिमेय कहलाती है, यदि प्रत्येक a, b ∈ X के लिए a * b = b * a

(iii) एक द्वि-आधारी संक्रिया : A × A → A साहचर्य कहलाती है, यदि प्रत्येक a, b, c ∈ A के लिए (a * b) * c = a * (b * c)

(iv) किसी प्रदत्त द्वि-आधारी संक्रिया : A × A → A के लिए, एक अवयव e ∈ A, यदि इसका अस्तित्व है, संक्रिया का तत्समक (identity) कहलाता है, यदि a * e = a = e * a,∀ a ∈A

(v) A में तत्समक अवयव e वाले प्रदत एक द्वि-आधारी संक्रिया A × A →A के लिए, किसी अवयव a ∈ A को संक्रिया के संदर्भ में व्युत्क्रमणीय कहते हैं, यदि A में एक ऐसे अवयव b का अस्तित्व इस प्रकार है कि a * b = e = b * a तथा b को a का प्रतिलोभ (inverse) कहते हैं और जिसे प्रतीक a–1द्वारा निरूपित करते हैं।

1.2 हल किए हुए उदाहरण

लघु उत्तरीय (S.A.)

उदाहरण1 – मान लिजिए कि A = {0, 1, 2, 3} तथा A में एक संबंध R निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कीजिए।

R = {(0, 0), (0, 1), (0, 3), (1, 0), (1, 1), (2, 2), (3, 0), (3, 3)

क्या R स्वतुल्य, सममित, संक्रामक हैं?

हल R स्वतुल्य तथा सममित है, परंतु संक्रामक नहीं है, क्योंकि (1, 0) ∈ R तथा (0, 3) ∈ R जबकि (1, 3) ∉ R

उदाहरण 2 – समुच्चय A = {1, 2, 3} के लिए एक संबंध R नीचे लिखे अनुसार परिभाषित कीजिए।

R = {(1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 3)}

उन क्रमित युग्मों को लिखिए, जिनको R में जोड़ने से वह न्यूनतम (छोटे से छोटा) तुल्यता संबंध बन जाए।

हल (3.1) एक अकेला क्रमित युग्म है जिसको R मेें जोड़ने से वह छोटे से छोटा तुल्यता संबंध बन जाता है।

उदाहरण 3 – मान लीजिए कि R = {(a, b) : संख्या 2, a – b को विभाजित करती है। द्वारा परिभाषित संबंध R पूर्णांक के समुच्चय Z में तुल्यता संबंध हैं। तुल्यता वर्ग (0) लिखिए।

हल [0] = {0, ± 2, ± 4, ± 6,…}

उदाहरण 4 – मान लिजिए कि फलन f : R → R , f (x) = 4x – 1, ∀ x ∈ R द्वारा परिभाषित है, तो सिद्ध कीजिए कि f ऐकैकी है।

हल – किन्हीं दो अवयव x1, x2 ∈ R, इस प्रकार कि f (x1) = f (x2), के लिए

4×1 – 1 = 4×2 – 1

⇒ 4×1= 4×2, vFkkZr~ x1= x2

अतः f एकैकी है।

उदाहरण 5 – यदि f = {(5, 2), (6, 3)}, g = {(2, 5), (3, 6)} तो f o g लिखिए।

हल f o g = {(2, 2), (3, 3)}

उदाहरण 6 – मान लिजिए कि f : R → R, f (x) = 4x – 3 ∀ x ∈ R. द्वारा परिभाषित एक फलन है, तो f –1 लिखिए।

हल – दिया हुआ है कि f (x) = 4x – 3 = y] मान लिजिए, तो

4x = y + 3

x = y + 3 ∕ 4

अंतः f –1 (y) = y + 3 ∕ 4

उदाहरण 7 – क्या Z(पूर्णांकों का समुच्चय) में m * n = m – n + mn ∀ m, n ∈ Z द्वारा परिभाषित द्विआधारी-संक्रिया क्रम-विनिमेय है।

हल – क्रमविनिमेय नहीं है, क्योंकि 1, 2 ∈ Z rFkk 1 * 2 = 1 – 2 + 1.2 = 1 जब कि 2 * 1 = 2 – 1 + 2.1 = 3 इस प्रकार 1 * 2 ≠ 2 * 1.

उदाहरण 8 – यदि f = {(5, 2), (6, 3)} तथा g = {(2, 5), (3, 6)} तो f तथा g के परिसर लिखिए।

हल – f का परिसर {2, 3} तथा g का परिसर = {5, 6}

उदाहरण 9 – यदि A = {1, 2, 3} तथा f, g, A × A के उप-समुच्चय के संग निम्नलिखित प्रकार सूचित संबंध हैं

f = {(1, 3), (2, 3), (3, 2)}
g = {(1, 2), (1, 3), (3, 1)}

f तथा g में से कौन फलन हैं और क्यों

हल – f एक फलन है क्योंकि क्रमित युग्मों में प्रथम स्थान (घटक) में A का प्रत्येक अवयव द्वितीय स्थान (घटक) में A के केवल एक ही अवयव से संबंधित है जब कि g एक फलन नहीं है क्योंकि 1, A के एक से अधिक अवयवों से संबंधित है, नामतः 2 तथा 3 से।

उदाहरण 10 – यदि A = {a, b, c, d} तथा f = {a, b), (b, d), (c, a), (d, c)} तो सिद्ध कीजिए कि f एकैकी है तथा A से A पर आच्छादी है। f –1 ज्ञात कीजिए।

हल – f एकैकी है, क्योंकि A का प्रत्येक अवयव समुच्चय A के एक अद्वितीय अवयव से निर्दिष्ट (संबंधित) है। साथ ही f आच्छादी है, क्योंकि f (A) = A। इसके अतिरिक्त –1 = {(b, a),
(d, b), (a, c), (c, d)}.

उदाहरण 11 – प्राकृत संख्याओं के समुच्चय N में m * n = g.c.d (m, n), m, n ∈ N द्वारा द्वी-आधारी-संक्रिया परिभाषित कीजिए। क्या संक्रिया क्रमविनिमय तथा साहचर्य है।

हल – सक्रिया स्पष्टतः क्रम-विनिमेय हैं, क्योंकि

m * n = g.c.d (m, n) = g.c.d (n, m) = n * m ∀ m, n ∈ N

यह साहचर्य भी है, क्योंकि l, m, n ∈ N के लिए

l * (m * n) = g. c. d (l, g.c.d (m, n))
= g.c.d. (g. c. d (l, m), n)
= (l * m) * n

दीर्घ उत्तरीय (L.A)

उदाहरण 12 – प्राकृत संक्याओं के समुच्चय N में एक संबंध R निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कीजिए। ∀ n, m ∈ N, nRm यदि n तथा m में से प्रत्येक संख्या को 5 से विभाजित करने पर शेषफल 5 से कम बचता है, अर्थात, 0.1,2,3 तथा 4 में से कोई एक संख्या। सिद्ध कीजिए कि R एक तुल्यता संबंध है। साथ ही R द्वारा निर्धारित युगलतः असंयुक्त उप-समुच्चयों को भी ज्ञात कीजिए।

हल – R स्वतुल्य है, क्योंकि प्रत्येक a ∈ N के लिए aRa, R सम्मित है, क्योंकि a, b, ∈ N के लिए यदि n aRb तथा bRa = 54± साथ ही, R संक्रामक है, क्योंकि a, b, c ∈ N के लिए, यदि aRb तथा aRc तो aRc अतः R, N में एक तुल्यता संबंध है, जो समुच्चय N का युगलतः असंयुक्त उपसमुच्चयों में विभाजन (partition) कर देता है। इस विभाजन से प्राप्त तुल्यता-वर्ग नीचे उल्लिखित हैः

A0= {5, 10, 15, 20 …}
A1= {1, 6, 11, 16, 21 …}
A2= {2, 7, 12, 17, 22, …}
A3 = {3, 8, 13, 18, 23, …}
A4= {4, 9, 14, 19, 24, …}

यह सुस्पष्ट है कि उपर्युक्त पांच समुच्चय युगलतः असंयुक्त हैं तथा

A0 ∪ A1 ∪ A2 ∪ A3 ∪ A4 40 Ai i=∪ =N

उदाहरण 13 – सिद्ध कीजिए कि f (x) = x / x2+1 ∀ ∈+R, द्वारा परिभाषित फलन f : R → R न तो एकैकी है और न आच्छादी है।

हल –

x1, x2 ∈ R, के लिए विचार कीजिए कि
f (x1) = f (x2)
⇒ x1 / x21+1=x2 / x22+1

⇒ x1x22+x1=x2x12+x2

⇒ x1x2 (x2-x1)=x2-x1

⇒x1=x2 या x1x2=1

हम देखते हैं कि x1 तथा x2 ऐसे दो अवयव हो सकते हैं कि x1 ≠ x2 फिर भी f (x1) = f (x2), उदाहरणार्थ हम x1= 2 तथा x2 = 1/2, लेते हैं, तो f (x1)=2/5 परंतु 2≠1/2 अंतः f एकैकी नहीं है। साथ ही, f आच्छादी भी नहीं है क्योंकि, यदी ऐसा है, तो 1∈R के लिए ∃ x ∈ R इस प्रकार कि f (x) = 1, जिससे x / x2+1 = 1 प्राप्त होता है। परंतु प्रांत R में ऐसा कोई अवयव नहीं है क्योंकि समीकरण x2– x + 1 = 0, x का कोई वास्तविक मान नहीं देता है।

उदाहरण 14 –

उदाहरण 15 –

उदाहरण 16 – मान लीजिए कि Q में परिभाषित एक द्वि-आधारी संक्रिया है। ज्ञात कीजिए की निम्नलिखित द्वि-आधारी संक्रियाओं में से कौन-कौन साहचर्य है।

(i) a, b ∈ Q osQ fy, a * b = a – b

(ii) a, b ∈ Q osQ fy, a * b =ab ∕4

(iii) a, b ∈ Q osQ fy, a * b = a – b + ab

(iv) a, b ∈ Q osQ fy, a * b = ab2

हल – (i) साहचर्य नहीं है, क्योंकि यदि हम a = 1, b = 2 तथा c = 3, लेते हैं, तो (a * b) * c = (1 * 2) * 3 = (1 – 2) * 3 = – 1 – 3 = – 4 तथा a * (b * c) = 1 * (2 * 3) = 1 * (2 – 3) = 1 – ( – 1) = 2 अतः (a * b) * c ≠ a * (b * c) और इसलिए साहचर्य नहीं है।

(ii) साहचर्य है, क्योंकि Q में गुणन साहचर्य होता है।

(iii) साहचर्य नहीं है, क्योंकि यदि हम a = 2, b = 3 तथा c = 4 लेते हैं, तो (a * b) * c = (2 * 3) * 4 = (2 – 3 + 6) * 4 = 5 * 4 = 5 – 4 + 20 = 21, तथा a * (b * c) = 2 * (3 * 4) = 2 * (3 – 4 + 12) = 2 * 11 = 2 – 11 + 22 = 13 अतः (a * b) * c ≠ a * (b * c) और इसलिए साहचर्य नहीं है।

(iv) साहचर्य नहीं है, क्योंकि यदि हम a = 1, b = 2 तथा c = 3 लेते हैं, तो (a * b) * c = (1 * 2) * 3 = 4 * 3 = 4 × 9 = 36 तथा a * (b * c) = 1 * (2 * 3) = 1 * 18 = 1 × 182= 324 अतः (a * b) * c ≠ a * (b * c) और इसलिए संक्रामक नहीं है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

उदाहरण 17 से 25 तक प्रत्येक में दिए हुए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

उदाहरण 17 – मान लीजिए कि R प्राकृत संख्याओं के समुच्चय N में एक संबंध है, जो nRm यदि n विभाजित करता है m को द्वारा परिभाषित है, तो R

(A) स्वतुल्य एवं सममित है।

(B) संक्रामक एवं सममित है

(C) तुल्यता संबंध है

(D) स्वतुल्य, संक्रामक है परंतु सममित नहीं है

हल – सही विकल्प (D) है, क्योंकि n विभाजित करता है n को, ∀ n ∈ N तो R स्वतुल्य है। R सममित नहीं है, क्योंकि 3, 6 ∈ N परंतु 3 R6 ≠ 6 R 3. R संक्रामक है, क्योंकि n, m, r के लिए जब जब n/m तथा m/r ⇒ n/r, अर्थात्, जब-जब n विभाजित करता है r को।

उदाहरण 18 – मान लीजिए कि L किसी समतल में स्थित सभी सरल रेखाओं के समुच्च्य को निरूपित करता है। मान लीजिए कि एक संबंध R, नियम lRm यदि और केवल यदि l लम्ब है m पर, ∀ l, m ∈ L, द्वारा परिभाषित है। तब R

(A) स्वतुल्य है

(B) सममित है

(C) संक्रामक है

(D) इनमें से कोई भी नहीं है

हल – सही विकल्प (B) है।

उदाहरण 19 – मान लीजिए कि N प्राकृत संख्याओं का समुच्चय है तथा f : N → N, f (n) = 2n + 3 ∀ n ∈ N द्वारा परिभाषित एक फलन है, तो f

(A) आच्छादी है

(B) एकैक है

(C) एकैकी आच्छादी है

(D) इनमें से कोई भी नहीं है

हल – सही विकल्प (B) है।

उदाहरण 20 – समुच्चय A में 3 अवयव हैं तथा समुच्चय B में 4 अवयव हैं, तो A से B में परिभाषित एकैक प्रतिचित्रणों की संख्या

(A) 144

(B) 12

(C) 24

(D) 64

हल – सही विकल्प (C) है। 3अवयव वाले समच्चय से 4 अवयव वाले समुच्चय में एकैक प्रतिचित्रणों की कुल संख्या 4 P3 g है। अर्थात् 4! = 24

उदाहरण 21 – मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = sin x तथा g : R → R g (x) = x2] द्वारा परिभाषित हैं, तो f o g

(A) x2 sin x

(B) (sin x)2

(C) sin x2

(D) sin x ∕ x2

हल – सही विकल्प (C) है।

उदाहरण 22 – मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = 3x – 4, द्वारा परिभाषित है, तो f –1 (x)

(A) x + 4 / 3

(B) x / 3 – 4

(C) 3x + 4

(D) इनमें से कोई नहीं।

हल – (A) सही विकल्प है।

उदाहरण 24 – वास्तविक संख्याओं x तथा y के लिए परिभाषित कीजिए कि xRy यदि और केवल यदि x – y +√2 एक अपरिमेय संख्या है, तो संबंध R

(A) स्वतुल्य है

(B) सममित है

(C) संक्रामक है

(D) इनमें से कोई भी नहीं है

हल – (A) सही विकल्प है।

उदाहरण 25 से 30 तक प्रत्येक में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।

उदाहरण 25 – समुच्चय A = {1, 2, 3} पर विचार कीजिए तथा R, A में छोटे से छोटा तुल्यता संबंध है, तो R = ____

हल – R = {(1, 1), (2, 2), (3, 3)}

उदाहरण 26 – f (x) = √ x2 – 3x + 2 द्वारा परिभाषित फलन f : R → R का प्रांत ____ है।

हल – यहाँ x2– 3x + 2 ≥ 0

⇒ (x – 1) (x – 2) ≥ 0

⇒ x ≤ 1 ;k x ≥ 2

अतः f का प्रांत = (– ∞, 1] ∪ [2, ∞)

उदाहरण 27 – n अवयवों वाले समुच्चय A पर विचार कीजिए। A से स्वयं A पर एकैकी आच्छादक फलनों की कुल संख्या ____ है।

हल – n!

उदाहरण 28 – मान लीजिए कि Z पूर्णांकों का समुच्चय है तथा R, Z में परिभाषित एक संबंध इस प्रकार है कि aRb, यदि a – b भाज्य है 3 से, तो R समुच्चय Z को __ युगलतः असंयुक्त उप-समुच्चयों में विभाजन करता है।

हल – तीन

उदाहरण – 29 मान लीजिए कि R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है तथा R में एक द्वि-आधारी संक्रिया इस प्रकार परिभाषित है कि a * b = a + b – ab ∀ a, b ∈ R. तो द्वि-आधारी संक्रिया के लिए तत्समक अवयव ____ है

हल – द्वि-आधारी सक्रिया के लिए तत्समक अवयव 0 है। उदाहरण 30 से 34 तक प्रत्येक में प्रदत्त कथन सत्य हैं या असत्य है-

उदाहरण 30 – समुच्चय A = {1, 2, 3} तथा संबंध R = {(1, 2), (1, 3)} पर विचार कीजिए। R एक संक्रामक संबंध है।

हल – सत्य है।

उदाहरण 31 – मान लीजिए कि A एक परिमित समुच्चय है, तो A से स्वयं में प्रत्येक एकैक फलन आच्छादी नहीं है।

हल – असत्य है।

उदाहरण 32 – समुच्चय A, B तथा C के लिए, मान लीजिए कि f : A → B, g : B → C फलन इस प्रकार है कि फलन g o f एकैक है, तो f तथा g दोनों ही एकैक फलन है।

हल – असत्य है।

उदाहरण 33 – समुच्चय A, B तथा C के लिए, मान लीजिए कि f : A → B, g : B → C फलन इस प्रकार है कि फलन g o f आच्छादी है, तो g आच्छादी है।

हल – सत्य है।

उदाहरण 34 – मान लीजिए कि N प्राकृत संख्याओं का समुच्चय है, तो a * b = a + b, ∀ a, b ∈ N द्वारा N में परिभाषित द्वि-आधारी संक्रिया के लिए तत्समक अवयव है।

हल – असत्य है।

1.3 प्रश्नावली

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA)

  1. मान लीजिए कि A = {a, b, c} तथा A में परिभाषित संबंध R निम्नलिखित हैः R = {(a, a), (b, c), (a, b)}. तो उन क्रमित युग्मों की, कम से कम, संख्या लिखिए, जिनको R में जोड़ने से R स्वतुल्य तथा संक्रामक बन जाता है।
  2. मान लीजिए कि D, f (x) = √25− x2 द्वारा परिभाषित, वास्तविक मान फलन f का प्रांत है, तो D को लिखिए।
  3. मान लीजिए कि f , g : R → R क्रमशः f (x) = 2x + 1 तथा g (x) = x2– 2, ∀ x ∈ R द्वारा परिभाषित हैं, तो g o f ज्ञात कीजिए।
  4. मान लीजिए कि f : R → R iQyu f (x) = 2x – 3 ∀ x ∈ R द्वारा परिभाषित है। f –1 लिखिए।
  5. यदि A = {a, b, c, d} तथा फलन f = {(a, b), (b, d), (c, a), (d, c)}, तो f –1 लिखिए।
  6. यदि f : R → R, f (x) = x2– 3x + 2 द्वारा परिभाषित है, तो f (f (x)) लिखिए।
  7. क्या g = {(1, 1), (2, 3), (3, 5), (4, 7)} एक फलन है। यदि g = {(1, 1), (2, 3), (3, 5), (4, 7)} द्वारा वर्णित है, तो α तथा β का मान क्या निर्धारित होना चाहिए।
  8. क्या क्रमित युग्मों के निम्नलिखित समुच्चय, फलन है। यदि ऐसा है, तो जाँच कीजिए कि प्रतिचित्रण एकैक अथवा आच्छादी है कि नहीं है।
    1. (i) {(x, y): x एक व्यक्ति है, y माँ है x की}
    2. (ii){(a, b): a एक व्यक्ति है, b पूर्वज है a का}
  9. यदि प्रतिचित्रण f तथा g क्रमशः f = {(1, 2), (3, 5), (4, 1)} rFkk g = {(2, 3), (5, 1), (1, 3)} द्वारा दत्त हैं, तो f o g लिखिए।
  10. मान लीजिए कि C सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय है। सिद्ध कीजिए कि f (z) = |z|, ∀ z ∈ C द्वारा दत्त प्रतिचित्रण f : C → R न तो एकैकी है और न आच्छादक (आच्छादी) है।
  11. मान लीजिए कि फलन f : R → R, f (x) = cosx, ∀ x ∈ R] द्वारा परिभाषित है। सिद्ध कीजिए कि f न तो एकैकी है और न आच्छादक (आच्छादी) है।
  12. मान लीजिए कि X = {1, 2, 3} तथा Y = {4, 5} ज्ञात कीजिए कि क्या X ×Y के निम्नलिखित उपसमुच्चय X से Y में फलन हैं या नहीं हैं।
    1. (i) f = {(1, 4), (1, 5), (2, 4), (3, 5)}
    2. (ii) g = {(1, 4), (2, 4), (3, 4)}
    3. (iii) h = {(1,4), (2, 5), (3, 5)}
    4. (iv) k = {(1,4), (2, 5)}
  13. यदि फलन f : A → B तथा g : B → A , g o f = IA को संतुष्ट करते हैं, तो सिद्ध कीजिए कि f एकैक है तथा g आच्छादक है।
  14. मान लीजिए कि f : R → R] f (x) =1 / 2 – cos x ∀ x ∈ R द्वारा परिभाषित एक फलन है, तो f का परिसर ज्ञात कीजिए।
  15. मान लीजिए कि n एक निश्चित (स्थिर) धन पूर्णांक है। Z में एक संबंध R निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कीजिएः ∀ a, b ∈ Z, aRb यदि और केवल यदि a – b भाज्य है n से। सिद्ध कीजिए कि R एक तुल्यता संबंध है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (L.A.)

16. यदि A = {1, 2, 3, 4 }, तो A में निम्नलिखित गुणों वाले संबंधों को परिभाषित कीजिएः

(a) स्वतुल्य तथा संक्रामक हों किंतु सममित नहीं हों।

(b) सममित हों परन्तु न तो स्वतुल्य हों और न संक्रामक हों।

(c) स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक हों।

17. मान लीजिए कि R, प्राकृत संख्याओं के समुच्चय N में निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित एक संबंध है।

R = {(x, y): x∈N, y∈N, 2x + y = 41} संबंध R का प्रांत तथा परिसर ज्ञात कीजिए। साथ ही सत्यापित (जाँच) कीजिए कि क्या R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।

18. दिया हुआ है कि A = {2, 3, 4}, B = {2, 5, 6, 7} निम्नलिखित में से प्रत्येक के एक उदाहरण की रचना कीजिएः

(a) A से B में एक एकैक प्रतिचित्रण

(b) A से B में एक ऐसा प्रतिचित्रण, जो एकैक नहीं है।

(c) B से A में एक प्रतिचित्रण।

19. एक ऐसे प्रतिचित्रण का उदाहरण दीजिए जो-

(i) एकैकी है कितु आच्छादक नहीं है।

(ii) एकैकी नहीं है किंतु आच्छादक है।

(iii) न तो एकैकी है और न आच्छादक है।

20. मान लीजिए कि A = R – {3}, B = R – {1}. मान लीजिए कि f : A → B, f (x) = x-2/x-3 ∀ x ∈ A द्वारा परिभाषित है, तो सिद्ध कीजिए कि f एकैकी आच्छादी है।

21. मान लीजिए कि A = [–1, 1]] तो विचार कीजिए कि क्या A में परिभाषित निम्नलिखित फलन एकैकी, आच्छादक या एकैकी आच्छादी है।

(i) f(x)=x/2

(ii) g(x)=|x|

(iii) h(x)=x|x|

(iv) k(x)=x2

22. निम्नलिखित में से प्रत्येक N में एक संबंध परिभाषित करते हैंः

(i) x बड़ा है y से, x, y∈ N

(ii) x + y = 10, x, y ∈ N

(iii) x y किसी पूर्णांक का वर्ग है, x, y ∈ N

(iv) x + 4y = 10 x, y∈ N

निर्धारित कीजिए कि उपर्युक्त संबंधों में से कौन-से स्वतुल्य, समामित तथा संक्रामक हैं।

23. मान लीजिए कि A = {1, 2, 3, … 9} तथा A ×A esa (a, b)] (c, d) के लिए (a, b) R(c, d) यदि और केवल यदि a + d = b + c द्वारा परिभाषित R एक संबंध है। सिद्ध कीजिए कि R एक तुल्यता संबंध है तथा तुल्यता-वर्ग [(2, 5)] भी प्राप्त (ज्ञात) कीजिए।

24. परिभाषा का प्रयोग करते हुए, सिद्ध कीजिए कि फलन f : A → B व्युत्क्रमणीय है, यदि और केवल यदि, f एकैकी तथा आच्छादक दोनों है।

25. फलन f , g : R → R क्रमशः f (x) = x2 + 3x + 1 तथा g (x) = 2x – 3 द्वारा परिभाषित है, तो निम्नलिखित ज्ञात कीजिए।

(i) f o g

(ii) g o f

(iii) f o f

(iv) g o g

26. मान लीजिए की एक द्वि-आधारीय संक्रिया Q में परिभाषित है। ज्ञात कीजिए कि निम्नलिखित द्वि-आधारी संक्रियाओं में से कौन-कौन सी संक्रियाएं क्रम विनिमेय है।

(i) a * b = a – b ∀ a, b ∈ Q

(ii) a * b = a2+b2 ∀ a, b ∈ Q

(iii) a * b = a + ab ∀ a, b ∈ Q

(iv) a * b = (a – b)2 ∀ a, b ∈ Q

27. मान लीजिए कि R में द्वि-आधारी संक्रिया a * b = 1 + ab, ∀ a, b ∈ R. तो संक्रिया

(i) क्रम-विनिमेय है किंतु साहचर्य नहीं है।

(ii) साहचर्य है किंतु क्रम-विनिमय नहीं है।

(iii) न तो क्रम-विनिमेय है और न साहचर्य है।

(iv) क्रम-विनिमेय तथा साहचर्य दोनों ही है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न संख्या 28 से 47 तक प्रत्येक में दिए हुए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-

28. मान लीजिए कि T युक्लिडीय समतल में, सभी त्रिभुजों का समुच्चय है तथा मान लीजिए कि T में एक संबंध R इस प्रकार परिभाषित है कि aRb, यदि a सर्वागसम है b के, ∀ a, b ∈ T तो R

(A) स्वतुल्य है किंतु संक्रामक नहीं है।

(B) संक्रामक है किंतु समामित नहीं है।

(C) तुल्यता संबंध है।

(D) इनमें से कोई नहीं है।

29. किसी परिवार में बच्चों के अरिक्त समुच्च तथा aRb, यदि a भाई है b का, द्वारा परिभाषित संबंध R पर विचार कीजिए, तो R

(A) सममित है किंतु संक्रामक नहीं है।

(B) संक्रामक है किंतु समामित नहीं है।

(C) न तो सममित है और न संक्रामक है

(D) सममित तथा संक्रामक दोनों है।

30. समुच्चय A = {1, 2, 3} में तुल्यता संबंधों की अधिकतम संख्या।

(A) 1

(B) 2

(C) 3

(D) 5 है।

31. यदि समुच्चय (1,2,3) में R = {(1, 2)} द्वारा परिभाषित एक संबंध R है, तो R

(A) स्वतुल्य है

(B) संक्रामक है

(C) सममित है

(D) इनमें से कोई भी नहीं है

32. मान लीजिए कि हम R में एक संबंध R इस प्रकार परिभाषित करें कि aRb, यदि a ≥ b] तो R

(A) एक तुल्यता संबंध हैं

(B) स्वतुल्य तथा संक्रामक है किंतु सममित नहीं है

(C) सममित तथा संक्रामक है किंतु स्वतुल्य नहीं हैं

(D) न तो संक्रामक है और न स्वतुल्य है किंतु सममित है

33. मान लीजिए कि A = {1, 2, 3} संबंध R = {1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 2), (2, 3), (1,3)} पर विचार कीजिए, तो R

(A) स्वतुल्य है किंतु सममित नहीं है

(B) स्वतुल्य है किंतु संक्रामक नहीं है

(C) सममित तथा संक्रामक है

(D) न तो सममित है और न सक्रामक है

34. Q ~ {0} esa a * b = ab 2 ∀ a, b ∈ Q ~ {0} प्रकार से परिभाषित द्वि-आधारी संक्रिया का (के लिए) तत्सम अवयव

(A) 1

(B) 0

(C) 2

(D) इनमें से कोई नहीं है।

35. यदि समुच्चय A में 5 अवयव हैं तथा समुच्चय B में 6 अवयव हैं, तो A से B में आच्छादी प्रतिचित्रों की संख्या।

(A) 720 है

(B) 120 है

(C) 0 है

(D) इनमें से कोई नहीं है

36. मान लीजिए कि A = {1, 2, 3, …n} तथा B = {a, b} ] तो A से B में आच्छादी प्रतिचित्रों की संख्या

(A) nP2 है

(B) 2n – 2 है

(C) 2n – 1 है

(D) इनमें से कोई नहीं है

37. मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = 1 x ∀ x ∈ R के द्वारा परिभाषित है, तो f

(A) एकैकी है

(B) आच्छादक है

(C) एकैकी आच्छादी है

(D) ) f परिभाषित नहीं है

38. मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = 3×2– 5 द्वारा तथा g : R → R g (x) =x / x2+1 द्वारा परिभाषित है तो, g o f निम्नलिखित है,

39. Z से Z में निम्नलिखित फलनों से कौन-से एकैकी आच्छादी है।

(A) f (x) = x3 (B) f (x) = x + 2 (C) f (x) = 2x + 1 (D) f (x) = x2+1

40. मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = x3+5 द्वारा परिभाषित एक फलन है, तो f –1 (x) निम्नलिखित है।

(A) (x+5) 1/3

(B) (x-5) 1/3

(C) (5-x)1/3

(D) 5-x

41. मान लीजिए कि f : A → B तथा g : B → C एकैकी आच्छादी फलन है, तो (g o f)–1 निम्नलिखित है,

(A) f –1 o g–1 (B) f o g (C) g –1 o f–1 (D) g o f

42. मान लीजिए कि f: R-(3/5) → R, f (x) = 3x+2/5x-3 द्वारा परिभाषित है, तो

(A) f –1 (x) = f (x)

(B) f –1 (x) = – f (x)

(C) ( f o f ) x = – x

(D) f –1 (x) = 1/19f (x)

43. मान लीजिए कि f:(0,1) → [0, 1], f (x) = (x, यदि x परिमेय है, 1-x यदि x अपरिमेय है) द्वारा परिभाषित है, तो (f o f ) x

(A) अचर है

(B) 1 + x है

(C) x है

(D) इनमें से कोई नहीं है

44. मान लीजिए कि f : [2, ∞) → R, f (x) = x2– 4x + 5 द्वारा परिभाषित एक फलन है, तो f का परिसर

(A) R है

(B) [1, ∞) है

(C) [4, ∞) है

(D) [5, ∞) है

45. मान लीजिए कि f : N → R, f (x) = 2x-1/2 द्वारा परिभाषित एक फलन है, तथा g : Q → R, g (x) = x + 2 द्वारा परिभाषित एक अन्य फलन है, तो (g o f) 3/2

(A) 1 है

(B) 1 है

(C) 7/2 है

(D) इनमें से कोई नहीं है

46. मान लीजिए कि f : R → R,

द्वारा परिभाषित है, तो f (– 1) + f (2) + f (4)

(A) 9 है

(B) 14 है

(C) 5 है

(D) इनमें से कोई नहीं है

47. मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = tan x द्वारा दत्त है, तो f –1 (1)

(A) π/4 है

(B) {n π + π/4 : n ∈ Z} है

(C) का अस्तित्व नहीं है।

(D) इनमें से कोई नहीं है

प्रश्न संख्या 48 से 52 तक प्रत्येक में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-

48. मान लीजिए कि N में एक संबंध R, aRb यदि 2a + 3b = 30 द्वारा परिभाषित है, तो R = __.

49. मान लीजिए कि A = {1, 2, 3, 4, 5} में एक संबंध R = {(a, b) : |a2 – b2 | < 8 द्वारा परिभाषित है, तो R _ द्वारा व्यकत है।

50. मान लीजिए कि f = {(1, 2), (3, 5), (4, 1)} तथा g = {(2, 3), (5, 1), (1, 3)} तो g o f = तथा f o g =

51. मान लीजिए कि f : R → R, f (x) = x/√1+x2 द्वारा परिभाषित है, तो ( f o f o f ) (x) = _

52. यदि f (x) = (4 – (x–7)3}, rks f –1(x) = _.

बताइए कि प्रश्न संख्या 53 से 62 तक प्रत्येक के कथन सत्य हैं या असत्य है-

53. मान लीजिए A = {1, 2, 3} में परिभाषित एक संबंध R = {(3, 1), (1, 3),(3, 3)}] तो R सममित तथा संक्रामक है किंतु स्वतुल्य नहीं है।

54. मान लीजिए , f : R → R, f (x) = sin (3x+2), ∀ x ∈ R द्वारा परिभाषित एक फलन है, तो f व्युत्क्रमणीय है।

55. प्रत्येक संबंध जो सममित तथा सक्रामक है स्वतुल्य भी है।

56. एक पूर्णांक m एक अन्य पूर्णांक n से संबंधित कहलाता है, यदि m एक पूर्णाकीय गुणज है n का। Z में इस प्रकार का संबंध स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक होता है।

57. मान लीजिए कि A = {0, 1} तथा N प्राकृत संख्याओं का समुच्चय है, तो f (2n–1) = 0, f (2n) = 1, ∀ n ∈ N द्वारा परिभाषित प्रतिचित्रण f N → A आच्छादक है।

58. समुच्चय A में R = {{1, 1), (1, 2), (2, 1), (3, 3)} प्रकार से परिभाषित संबंध R स्वतुलय, सममित तथा संक्रामक है।

59. फलनों का संयोजन क्रम-विनिमेय होता है।

60. फलनों का संयोजन साहचर्य होता है।

61. प्रत्येक फलन व्युत्क्रमणीय होता है।

62. किसी समुच्चय में किसी द्वि-आधारी सक्रिया का तत्समक अवयव सदैव होता है।

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