भौतिकी विज्ञान विषय की अच्छी तैयारी के लिए कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – विधुत धारा यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे छात्र जो भौतिकी विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपनी तैयारी के लिए यहाँ विधुत धारा के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर मिल जाएंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर की जानकारी किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक होती है। इस पेज में NCERT Book के यूनिट 3 – विधुत धारा के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
श्रोत: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
कक्षा: 12
विषय: भौतिकी विज्ञान
अध्याय: यूनिट 3 – विधुत धारा
कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – विधुत धारा
कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान विषय के यूनिट 3 – विधुत धारा के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहाँ प्राप्त करें।
बहुविकल्पी प्रश्न I (MCQ I)
3.1 वृत्त की आकृित के किसी धारावाही तार (धारा I) पर विचार कीजिए। ध्यान दीजिए जैसे-जैसे तार के अनुदिश धारा विकसित होती है, j (धारा घनत्व) की दिशा यथार्थ ढंग से परिवर्तित होती है, जबकि धारा I अप्रभावित रहती है। इसके लिए अनिवार्य रूप से उत्तरदायी ऐजेन्ट है-
(a) स्रोत का विद्युतवाहक बल (emf)
(b) तार के पृष्ठ पर संचित आवेशों द्वारा उपन्न विद्युत क्षेत्र
(c) तार के दिए गए खण्ड के ठीक पीछे के आवेश जो प्रतिकर्षण द्वारा आवेशों को मात्र सही ढंग से थकेलते हैं।
(d) आगे के आवेश

3.2 दो बैटरियाँ उनके emf ε₁ तथा ε₂ (ε₂>ε₁) तथा आन्तरिक प्रतिरोध क्रमशः r₁ तथा r₂ हैं, चित्र 3.1 में दर्शाए अनुसार पार्श्व क्रम में संयोजित हैं।
(a) दोनों सेलों का तुल्य emfε तुल्य, ε₁ के बीच अर्थात्, ε₁<εतुल्य<ε₂ है।
(b) तुल्य emfε तुल्य, ε₁ से कम है।
(c) सदैव ε तुल्य=ε₁+ε₂ होता है।
(d) ε तुल्य आन्तरिक प्रतिरोधों r₁ तथा r₂ पर निर्भर नहीं है।
3.3 मीटर सेतु के उपयोग द्वारा प्रतिरोध R मापा जाना है। एक छात्र मानक प्रतिरोध S का चयन 100Ω करता है। वह शून्य विक्षेप बिन्दु l₁ = 2.9 cm पर पाता है। उसे परिशुद्धता में सुधार के लिए प्रयत्न करने को कहा जाता है। इसके लिए निम्नलिखित में कौन उपयोगी ढंग है।
(a) उसे l₁ को और अधिक परिशुद्धता से मापना चाहिए।
(b) उसे S को 1000Ω लेकर प्रयोग दोहराना चाहिए।
(c) उसे S को 3Ω लेकर प्रयोग दोहराना चाहिए।
(d) उसे मीटर सेतु के उपयोग द्वारा अधिक परिशुद्ध माप की आशा छोड़ देनी चाहिए।
3.4 5V तथा 10V सन्निकट emf के दो सेलों की तुलना परिशुद्ध रूप में 400 cm लम्बाई के विभवमापी द्वारा की जानी है।
(a) विभवमापी में उपयोग होने वाली बैटरी की वोल्टता 8V होनी चाहिए।
(b) विभवमापी की वोल्टता 15V हो सकती है तथा R को इस प्रकार समायोजित कर सकते हैं कि तार के सिरों पर विभवपात 10V से थोड़ा अधिक हो।
(c) स्वयं तार के पहले 50 cm भाग पर विभवपात 10V होना चाहिए।
(d) विभवमापी का उपयोग प्रायः प्रतिरोधों की तुलना के लिए किया जाता है, विभवों के लिए नहीं।
3.5 आयताकार अनुप्रस्थकाट 1cm × 1/2cm तथा 10cm लम्बाई की कोई धातु की छड़ विपरीत फलकों पर किसी बैटरी से संयोजित है। इसका प्रतिरोध
(a) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 1cm × 1/2cm फलकों के बीच संयोजित है।
(b) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 10cm × 1cm फलकों के बीच संयोजित है।
(c) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 10cm × 1/2cm फलकों के बीच संयोजित है।
(d) समान रहेगा चाहे तीनों फलकों में से किसी के बीच भी बैटरी को संयोजित करें।
3.6 इलेक्ट्रॉनों का कौन सा अभिलक्षण चालक में धारा के प्रवाह को निर्धारित करता है।
(a) केवल अपवाह वेग
(b) केवल तापीय वेग
(c) अपवाह वेग तथा तापीय वेग दोनों
(d) न तो अपवाह और न तापीय वेग
बहुविकल्पी प्रश्न II (MCQ II)
3.7 किरखोफ संधि नियम अनुचिन्तन है
(a) धारा घनत्व सदिश के संरक्षण का।
(b) आवेश के संरक्षण का।
(c) इस तुल्य का कि आवेशित कण जिस संवेग से किसी संधि के समीप पहुँचता है, उस संधि को छोड़ते समय यह संवेग अपरिवर्तित (सदिश की भाँति) रहता है।
(d) किसी संधि पर आवेश का संचय नहीं होने का।

3.8 चित्र 3.2 में दर्शाए सरल परिपथ पर विचार कीजिए। अवयव परिवर्ती प्रतिरोध R′ को दर्शाता है। R′ और R₀ से अनन्त तक परिवर्तित किया जा सकता है। r बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध है (r<<R<<R₀)।
(a) जैसे R′ में परिवर्तन होता है AB के सिरों पर विभवपात लगभग नियत रहता है।
(b) जैसे R′ में परिवर्तन होता है, R′ से प्रवाहित धारा लगभग नियत रहती है।
(c) धारा I सुग्राही रूप से R′ पर निर्भर करती है।
(d) सदैव ही I≥V/r R
3.9 अर्धचालकों, विद्युतरोधियों तथा धातुओं की प्रतिरोधकता ρ(T) की ताप-निर्भरता नीचे दिए गए कारकों पर सार्थक रूप से निर्भर करती हैः
(a) आवेश वाहकों की संख्या ताप T के साथ परिवर्तित हो सकती है।
(b) दो क्रमागत संघट्टों के बीच काल-अन्तराल T पर निर्भर कर सकता है।
(c) पदार्थ की लम्बाई, T का फलन हो सकती है।
(d) आवेश वाहकों का द्रव्यमान, T का फलन है।
3.10 व्हीटस्टोन सेतु के द्वारा किसी अज्ञात प्रतिरोध R की माप की जानी है (एन.सी.ई.आर.टी की पुस्तक का चित्र 3.25 देखें)। दो छात्र प्रयोग को दो विभिन्न ढंगों से करते हैं। पहला छात्र ‘R₂= 10Ω तथा R₁ = 5Ω लेता है। दूसरा छात्र R₂ = 1000Ω तथा R₁ = 500Ω लेता है। मानक भुजा में दोनों R₃ = 5Ω लेते हैं। दोनों छात्र त्रुटियों की सीमाओं में, R = R₂/R₁ R₃ = Ω पाते हैं।
(a) दोनों छात्रों की माप में त्रुटियाँ समान हैं।
(b) माप में त्रुटियाँ उस परिशुद्धता पर भी निर्भर करती हैं जिससे R₂ तथा R₁ को मापा जा सकता है।
(c) यदि छात्र अधिक मानों के R₂ तथा R₁ का उपयोग करता है तो भुजाओं से प्रवाहित धारा क्षीण होगी जिसके कारण यथार्थ शून्य विक्षेप स्थिति निर्धारित करना अधिक कठिन हो जाएगा।
(d) व्हीटस्टोन सेतु अत्यंत यथार्थ उपकरण है तथा इसकी माप में त्रुटियाँ नहीं होतीं।
3.11 किसी मीटर सेतु में बिन्दु D शून्य विक्षेप बिन्दु है (चित्र 3.3)।

(a) मीटर सेतु में प्रतिरोधों के इस समुच्चय के लिए कोई अन्य शून्य विक्षेप बिन्दु नहीं हो सकता।
(b) जब जॉकी बिन्दु D के बायीं और मीटर सेतु के तार के किसी बिन्दु से समपर्क करती है तो तार से B में धारा प्रवाहित होती है।
(c) जब जॉकी बिन्दु D के दायीं और मीटर सेतु के तार के किसी बिन्दु से सम्पर्क है तो तार में गैल्वेनोमीटर से होते हुए B से धारा प्रवाहित होती है।
(d) जब R बढ़ता है तो, शून्य विक्षेप बिन्दु, बायीं और विस्थापित हो जाता है।
अति लघुउत्तरीय (VSA)
3.12 क्या किसी विद्युत नेटवर्क में किसी संधि के पार गति में, आवेश का संवेग संरक्षित रहता है।
3.13 विश्रांति काल τ अनुप्रयुक्त क्षेत्र E पर लगभग निर्भर नहीं करता जबकि ताप के साथ इसमें सार्थक रूप से परिवर्तन हो जाता है। पहला तथ्य (अंश में) ओम-नियम के लिए उत्तरदायी है जबकि दूसरा तथ्य ताप के साथ ρ में परिवर्तन की ओर ले जाता है। ऐसा क्यों हैं। सविस्तार प्रतिपादित कीजिए।
3.14 व्हीटस्टीन सेतु में शून्य विक्षेप विधि के क्या लाभ है। अन्य किसी विधि द्वारा R अज्ञात परिकलित करने के लिए किस अतिरिक्त माप की आवश्यकता होगी।
3.15 विभवमापी में तारों को संयोजित करने के लिए धातु की मोटी पट्टियों को उपयोग करने का क्या लाभ है।
3.16 घरों में विद्युत के लिए तांबे (Cu) अथवा एेलुमिनियम (Al) के तारों का उपयोग किया जाता है। ऐसा करने के पीछे किन-किन विचारों को ध्यान में रखा जाता है।
3.17 मानक प्रतिरोध कुण्डलियों को बनाने में मिश्रातुओं का उपयोग क्यों किया जाता है।

3.18 Rc प्रतिरोध की संचार केबिलों से होकर किसी युक्ति को शक्ति P प्रदान की जानी है। यदि R के सिरों पर वोल्टता V तथा इससे प्रवाहित धारा I है तो शक्ति-क्षय ज्ञात कीजिए। इसे किस प्रकार कम किया जा सकता है।
3.19 AB कोई विभवमापी-तार है (चित्र 3.4)। यदि R के मान में वृद्धि कर दें, तो विक्षेप बिन्दु (J) किस दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगा।

3.20 विभवमापी से कोई प्रयोग करते समय यह पाया गया कि, विक्षेप एक ही दिशा में होता है (चित्र 3.5) तथा (i) तार के सिरे A से सिरे B की और जाने पर विक्षेप कम हो जाता है, (ii) जबकि जॉकी को सिरे B की ओर ले जाने पर विक्षेप बढ़ जाता है।
(a) सेल E₁ का कौन सा टर्मिनल, धनात्मक या ऋणात्मक, प्रकरण (i) में X से संयोजित है।
(b) प्रकरण (ii) में सेल E₁ का कौन सा टर्मिनल X से संयोजित हैं।
3.21 कोई सेल जिसका emf E तथा आन्तरिक प्रतिरोध r है किसी बाह्य प्रतिरोध R के सिरों से संयोजित है। R के सिरों के बीच विभवान्तर में परिवर्तन तथा R के बीच ग्राफ खींचिए।
लघुउत्तरीय (SA)
3.22 पहले R प्रतिरोध के n समान प्रतिरोधकों के समुच्चय को श्रेणीक्रम में emf E तथा आन्तरिक प्रतिरोध R की बैटरी से संयोजित किया गया। परिपथ में धारा I प्ररवाहित होती है। तत्पश्चात् n प्रतिरोधकों को इसी बैटरी से पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया। यह पाया गया है धारा 10 गुना बढ़ गई। ‘n’ का क्या मान है।
3.23 मान लीजिए n प्रतिरोधक R₁………Rn जिनमें R अधिकतम = अधिकतम (R₁………Rn) तथा R न्यूनतम = न्यूनतम (R₁………Rn)। यह दर्शाइए कि जब इन्हें पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं, तो परिणामी प्रतिरोध Rp < R न्यूनतम तथा जब इन्हें श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं तो परिणामी प्रतिरोध Rs>R अधिकतम होता है। इसकी भौतिक व्याख्या कीजिए।

3.24 चित्र 3.6 में दर्शाए परिपथ मेें दो सेल एक दूसरे के साथ प्रतिकूलता से संयोजित हैं। सेल E₁ का emf 6V तथा आन्तरिक प्रतिरोध 2Ω, और सेल E₂ का emf 4V तथा आन्तरिक प्रतिरोध 8Ω है। बिन्दु A तथा B के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
3.25 समान विद्युत वाहक बल E, परन्तु आन्तरिक प्रतिरोध r₁ तथा r₂ के सेल श्रेणीक्रम में किसी बाह्य प्रतिरोध R से संयोजित हैं (चित्र 3.7)। R का क्या मान होना चाहिए ताकि पहले सेल के टर्मिनलों के बीच विभवान्तर शून्य हो जाए।

3.26 दो चालक समान पदार्थ के बने हैं तथा इनकी लम्बाई भी समान हैं। चालक 1mm व्यास का ठोस तार है। चालक B 2mm बाह्य व्यास तथा 1mm आंतरिक व्यास की खोखली नलिका है। प्रतिरोधों RA तथा Rₐ का अनुपात ज्ञात कीजिए।
3.27 मान लीजिए कोई ऐसा परिपथ है जिसमें केवल प्रतिरोध एवं बैटरियाँ हैं। मान लीजिए हमें सभी वोल्टताओं तथा सभी प्रतिरोधों को दो गुना (अथवा n गुना) करना है यह दर्शाइए कि धाराएँ अपरिवर्तित रहती हैं। इसे कक्षा 12 की एन.सी.ई.आर.टी की पाठ्यपुस्तक के अभ्यास 3.7 के लिए परिकलित कीजिए।
दीर्घउत्तरीय (LA)

3.28 दो सेल जिनकी वोल्टता 10V तथा 2V एवं आन्तरिक प्रतिरध क्रमशः 10Ω तथा 5Ω हैं, पार्श्वक्रम में इस प्रकार संयोजित हैं कि 10V बैटरी का धनात्मक टर्मिनल 2V बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल से संयोजित है (चित्र 3.8)। संयोजन की प्रभावी वोल्टता तथा प्रभावी प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
3.29 किसी कमरे में 220V की वोल्टता पर कोई एयर कन्डीशनर प्रतिदिन 5 घन्टे चलता है। कमरे में बिछे विद्युत तार ताँबे के बने हैं जिनकी त्रिज्या 1 mm तथा लम्बाई 10m है। प्रतिदिन ऊर्जा की खपत 10 व्यापारिक मात्रक है। इसका कितना भाग तारों में जून-तापन में नष्ट हो जाता है। यदि तार इसी लम्बाई और व्यास के हों परन्तु ऐलुमिनियम के बने हों तो क्या होगा।
[ρᵤ = 1.7 × 10⁻⁸, ρAl = 2.7 × 10⁻⁸Ωm]
3.30 विभवमापी के किसी प्रयोग में, Vₐ = 10V है। R को 50Ω पर समायोजित किया गया है (चित्र 3.9)। कोई छात्र जो किसी बैटरी की वोल्टता E₁ (लगभग 8V) मापना चाहता है यह पाता है कि कोई शून्य विक्षेप बिन्दु संभव नहीं है। फिर वह R को घटाकर 10Ω कर देता है और विभवमापी के अंतिम (चौथे) खण्ड में शून्य विक्षेप बिन्दु प्राप्त कर लेता है। दूसरे प्रकरण में विभवमापी के तार का प्रतिरोध तथा तार के सिरों पर विभवपात प्रति एकांक लम्बाई ज्ञात कीजिए।

3.31 (i) चित्र 3.10 के परिपथ पर विचार कीजिए। शून्य धारा की आरम्भिक अवस्था से अपवाह वेग की स्थिति तक (तापीय गति की उपेक्षा करते हुए) इलेक्ट्रॉनों द्वारा कितनी ऊर्जा अवशोषित की जाती है।
(ii) इलेक्ट्रॉन, तापीय ऊर्जा को प्रति सेकण्ड RI² की दर से ऊर्जा प्रदान करते हैं। प्रश्न (i) में ऊर्जा के साथ आप क्या समय स्केल संबद्ध करेंगे। n = प्रति आयतन इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 10²⁹/m³, परिपथ की लम्बाई = 10 cm, अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल = A = (1mm)²
कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – विधुत धारा
यूनिट 3 – विधुत धारा के प्रश्नों के उत्तर यहाँ से प्राप्त करें
3.1 (b)
3.2 (a)
3.3 (c)
3.4 (b)
3.5 (a)
3.6 (a)
3.7 (b), (d)
3.8 (a), (d)
3.9 (a), (b)
3.10 (b), (c)
3.11 (a), (c)
3.12 जब कोई इलेक्ट्रॉन किसी संधि की ओर गमन करता है तो एकसमान E के अतिरिक्त वह समान्यतः संधि के तारों के पृष्ठ पर संचित आवेशों (जो अपवाह वेग vd को नियत रखते हैं।) का सामना भी करता है। ये विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं। ये क्षेत्र संवेग की दिशा परिवर्तित कर देते हैं।
3.13 विश्रान्ति काल इलेक्ट्रॉनों एवं आयनों के वेगों पर निर्भर होने के लिए बाध्य हैं। अनुप्रस्थ विद्युत बल इलेक्ट्रॉन के वेग को 1mm/s कोटि की चालों द्वारा प्रभावित करते हैं, जो कोई सार्थक प्रभाव नहीं है। इसके विपरीत, T में परिवर्तित वेगों में 10² m/s कोटि के प्रभाव उतपन्न करता है। यह τ में सार्थक प्रभाव ला सकता है। [ρ = ρ(E,T ) है जिसमें E पर निर्भरता उपेक्षणीय है, सामान्य अनुप्रयुक्त वोल्टताओं के लिए।
3.14 व्हीटस्टोन सेतु में शून्य विक्षेप विधि का यह लाभ है कि गैल्वेनोमीटर का प्रतिरोध संतुलन बिन्दु को प्रभावित नहीं करता तथा प्रतिरोधों एवं गैल्वेनोमीटर में प्रवाहित धारा तथा गैल्वेनोमीटर के आन्तरिक प्रतिरोधक को ज्ञात करने की कोई आवश्यकता नहीं होती और किरखोफ नियम का परिपथ पर अनुप्रयोग करके अज्ञात प्रतिरोध, R अज्ञात परिकलित किया जा सकता है। अन्य विधियों में हमें प्रतिरोधों तथा गैल्वेनोमीटर में प्रवाहित सभी धाराओं तथा गैल्वेनोमीटर के आन्तरिक प्रतिरोध की परिशुद्ध मापों की आवश्यकता होगी।
3.15 धातु की मोटी पट्टियों का निम्न प्रतिरोध होता है जिसे शुन्य-विक्षेप बिन्दु पर विभवमापी तार की लम्बाई में सम्मिलित करने की आवश्यकता नहीं होती। हमें केवल सीधे खण्डों (प्रत्येक 1 लम्बा) के अनुदिश तारों की लम्बाई मापनी होती है जिसे मीटर स्केल द्वारा आसानी से मापा जा सकता है। और यह माप परिशुद्ध होती है।
3.16 दो बातों पर विचार करने की आवश्यकता होती हैः (i) धातु का मूल्य, तथा (ii) धातु की अच्छी चालकता। अधिक मूल्य होने के कारण हम चाँदी का उपयोग नहीं करते। इसके पश्चात अच्छे चालकों में ताँबा वे ऐलुमिनियम उपयोग होते हैं।
3.17 मिश्रातुओं के प्रतिरोध का ताप गुणांक निम्न (निम्न ताप सुग्राह्यता) तथा प्रतिरोधकता उच्च होती है।
3.18 शक्ति क्षय Pc=I²Rc
यहां, Rc संयोजक तारों का प्रतिरोध है
Pc = P²/V² Rc
शक्ति क्षय Pc कम करने के लिए शक्ति संचरण उच्च वोल्टता पर किया जाना चाहिए।
3.19 यदि R में वृद्धि कर दें, तो तार से प्रवाहित धारा कम हो जाएगी और इस प्रकार विभव प्रवणता भी कम हो जाएगी, जिसके कारण संतुलन लम्बाई अधिक हो जाएगी। अतः शून्य विक्षेप बिन्दु J बिन्दु B की और स्थानान्तरित हो जाएगा।
3.20 (a) E₁ का धनात्मक टर्मिनल X से संयोजित है तथा E₁>E
(b) E₁ का ऋणात्मक टर्मिनल X से संयोजित है।











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