भौतिकी विज्ञान विषय की अच्छी तैयारी के लिए कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र यहाँ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे छात्र जो भौतिकी विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उन्हें अपनी तैयारी के लिए यहाँ वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर मिल जाएंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर की जानकारी किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक होती है। इस पेज में NCERT Book के यूनिट 1 – वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
श्रोत: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
कक्षा: 12
विषय: भौतिकी विज्ञान
अध्याय: यूनिट 1 – वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र
कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र
कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान विषय के यूनिट 1- वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहाँ प्राप्त करें।
बहुविकल्पी प्रश्न 1 (MCQ I)
1.1 चित्र 1.1 में y- अक्ष के अनुदिश स्थित दो वैद्युत आवेश q₂ तथा q₃, x- अक्ष के अनुदिश स्थित वैद्युत आवेश q₁ पर, + x दिशा में कोई नेट विद्युत बल आरोपित करते हैं। यदि (x, 0), पर कोई धनावेश Q रख दिया जाए तो q₁ पर आरोपित बल

(a) धनात्मक x- अक्ष के अनुदिश बढ़ जाएगा।
(b) धनात्मक x- अक्ष के अनुदिश घट जाएगा।
(c) ऋणात्मक x- अक्ष के अनुदिश संकेत करेगा।
(d) बढ़ जाएगा परन्तु q₂ एवं q₃ के साथ Q के प्रतिच्छेदन के कारण दिशा परिवर्तित हो जाएगी।
1.2 किसी बिन्दु धनावेश को किसी वियुक्त चालक गोले के निकट लाया गया है। चित्र 1.2 विद्युत क्षेत्र को दर्शाने वाला सर्वश्रेष्ठ चित्र है,
(a) चित्र (i) (b) चित्र (ii) (c) चित्र (iii) (d) चित्र (iv)

1.3 नीचे दिए गए चित्रों में पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स

(a) चित्र 1.3 (iv) में सर्वाधिक है
(b) चित्र 1.3 (iii) में न्यूनतम है
(c) चित्र 1.3 (ii) में चित्र 1.3 (iii) के समान है, परन्तु चित्र 1.3 (iv) से कम है।
(d) सभी चित्रों में समान है।

1.4 पाँच आवेश q₁, q₂, q₃, q₄ तथा q₅ चित्र 1.4 में दर्शाए अनुसार अपनी स्थितियों पर स्थिर हैं। S कोई गाउसीय पृष्ठ है। गाउस नियम के अनुसार ∫ Eds = q/ε₀
निम्नलिखित में कौन सा प्रकथन सही है?
(a) उपरोक्त समीकरण के बायों ओर E में q₁, q₃ तथा q₅ का योगदान होगा, जबकि दायीं और q में केवल q₂ तथा q₄ का ही योगदान होगा।
(b) उपरोक्त समीकरण के बायीं और E में सभी आवेशों का योगदान होगा, जबकि दायीं ओर q में केवल q₂ तथा q₄ का ही योगदान होगा।
(c) उपरोक्त समीकरण के बायीं ओर E में सभी आवेशों का योगदान होगा, जबकि दायीं ओर q में केवल q₁, q₃ तथा q₅ का योगदान होगा।
(d) बायीं और के E तथा दायीं ओर के q दोनों में ही केवल q₂ तथा q₄ का ही योगदान होगा।

1.5 चित्र 1.5 में विद्युत क्षेत्र रेखाएँ दर्शायी गई हैं जिनमें एक वैद्युत द्विध्रुव p चित्र में दर्शाए अनुसार रखा है। निम्नलिखित प्रकथनों में कौन सा सही है।
(a) द्विध्रुव किसी बल का अनुभव नहीं करेगा।
(b) द्विध्रुव दायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा।
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा।
(d) द्विध्रुव ऊपर की ओर किसी बल का अनुभव करेगा।
1.6 एक बिन्दु आवेश +q किसी वियुक्त चालक तल से d दूरी पर स्थित है। तल के दूसरी और के बिन्दु P पर क्षेत्र की दिशा
(a) तल के लम्बवत तथा तल से दूर की ओर है।
(b) तल के लम्बवत परन्तु तल की ओर है।
(c) बिन्दु आवेश से दूर की दिष्ट है।
(d) अरीयतः बिन्दु आवेश की ओर है।
1.7 कोई अर्धगोला एकसमान धनावेशित है। गोले के केन्द्र से परे इसके किसी व्यास पर स्थित बिंदु पर जो केन्द्र से दूर है, विद्युत क्षेत्र की दिशा
(a) इस व्यास के लम्बवत है।
(b) इस व्यास के समान्तर है।
(c) इस व्यास की ओर किसी कोण पर झुकी है।
(d) इस व्यास से दूर किसी कोण पर झुकी है।
1.8 यदि किसी पृष्ठ पर ∫s EdS = 0 है, तब
(a) उस पृष्ठ पर तथा उसके भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य है।
(b) उस पृष्ठ के भीतर आवश्यक रूप से विद्युत क्षेत्र एकसमान है।
(c) उस पृष्ठ में प्रवेश करने वाली फ्लक्स रेखाओं की संख्या उससे निकलने वाली फ्लक्स रेखाओं की संख्या के बराबर होनी चाहिए।
(d) सारा आवेश आवश्यक रूप से उस पृष्ठ के बाहर होना चाहिए।
1.9 किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र
(a) सदैव संतत होता है।
(b) संतत होता है यदि उसे बिन्दु पर कोई आवेश न हो।
(c) केवल तब संतत नहीं होता जब उस बिन्दु पर कोई ऋणावेश हो।
(d) संतत नहीं होगा, यदि उस बिन्दु पर कोई आवेश हो।
1.10 यदि विश्व में केवल एक ही प्रकार का आवेश हो तो
(a) तब किसी भी पृष्ठ पर ∫s EdS ≠ 0
(b) और आवेश पृष्ठ के बाहर हो, तो ∫s EdS ≠ 0
(c) तब ∫s EdS को परिभाषित नहीं किया जा सकेगा।
(d) तब ∫s EdS = q/ε₀, यदि q परिमाण का आवेश पृष्ठ के भीतर है।
1.11 किसी ऐसे क्षेत्र पर विचार कीजिए जिसमें विभिन्न प्रकार के आवेश हैं परन्तु कुल आवेश शून्य है। इस क्षेत्र से बाहर के बिन्दुओं पर
(a) विद्युत क्षेत्र आवश्यक रूप से शून्य होता है।
(b) विद्युत क्षेत्र केवल आवेश वितरण के द्विध्रुव आवूर्ण के कारण होता है।
(c) प्रभावी विद्युत क्षेत्र 1/r³ के अनुक्रमानुपाती होता है जहाँ r इस क्षेत्र में किसी मूल बिन्दु से दूरी है और इसका मान बहुत अधिक है।
(d) इस क्षेत्र से दूर, किसी संवृत (बन्द) पथ के अनुदिश, किसी आवेश को गति कराने में किया गया कार्य शून्य होगा।

1.12 चित्र 1.6 में आवेशों की व्यवस्था तथा R त्रिज्या के गाउसीय पृष्ठ, जिसके केन्द्र पर कोई आवेश Q है, पर विचार कीजिए, तब
(a) गोले के पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स –Q/ε₀ है।
(b) गोले के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र –Q/4πε₀R² है।
(c) 5Q के कारण गोले के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स शून्य है।
(d) –2Q के कारण गोले के पृष्ठ पर क्षेत्र हर स्थान पर समान है।

1.13 कोई धनावेश Q किसी R त्रिज्या के वृत्ताकार लूप के अनुदिश एकसमान रूप से वितरित है। लूप के केन्द्र पर कोई छोटा परीक्षण आवेश q स्थित है (चित्र 1.7)। तब
(a) यदि q > 0 तथा इसे लूप के तल में केन्द्र से दूर विस्थापित करें तो यह वापस केन्द्र की ओर धकेल दिया जाएगा।
(b) यदि q < 0 तथा इसे लूप के तल में केन्द्र से दूर विस्थापित करें तो यह कभी भी केन्द्र पर वापस नहीं आएगा तथा लूप से टकराने तक सतत गति करेगा।
(c) यदि q < 0, तब यह अक्ष के अनुदिश छोटे विस्थापनों के लिए SHM करेगा।
(d) q > 0 के लिए, लूप के तल के भीतर, लूप का केन्द्र एक अस्थायी संतुलन में है।
अति लघुउत्तरीय (VSA)
1.14 किसी यादृच्छिक पृष्ठ में कोई द्विध्रुव परिबद्ध है। इस पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स कितना है।
1.15 किसी धातु के गोलीय खोल की भीतरी त्रिज्या R₁ तथा बाहरी त्रिज्या R₂ है। इस खोल की गोलीय गुहिका के केन्द्र पर कोई आवेश Q रखा है। खोल के (i) भीतरी पृष्ठ तथा (ii) बाहरी पृष्ठ पर, पृष्ठीय आवेश-घनत्व क्या होगा।
1.16 किसी परमाणु की विमाएँ एक ऐंग्सट्रम के कोटि की होती हैं। अतः प्रोटॉनों एवं इलेक्ट्रॉनों के बीच उच्च विद्युत क्षेत्र होना चाहिए। तब किसी चालक के भीतर स्थिर-विद्युत क्षेत्र शून्य क्यों होता है।
1.17 यदि किसी पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश शून्य है, तो क्या इसका यह तात्पर्य है कि इस पृष्ठ के हर स्थान पर विद्युत क्षेत्र शून्य है। विलोमतः यदि किसी पृष्ठ के हर स्थान पर विद्युत क्षेत्र शून्य है तो क्या इससे यह तात्पर्य निकलता है कि इस पृष्ठ के भीतर नेट आवेश शून्य है।
1.18 किसी एकसमान आवेशित खोखले सिलिण्टर (चित्र 1.8) के लिए विद्युत क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।


1.19 किसी a लम्बाई के घन (चित्र 1.9) के फलकों से गुजरने वाला पलक्स कितना होगा यदि आवेश q स्थित हो
(a) A पर जो घन का एक कोना है।
(b) B पर जो किसी कोर का मध्य बिन्दु है।
(c) C पर जो घन के किसी फलक को केन्द्र है।
(d) D पर जो B तथा C का मध्य बिन्दु है।
लघउत्तरीय (SA)
1.20 कोई सिक्का Al-Mg मिश्रातु का बना है और इसका बार 0.75g है। यह वर्गाकार है तथा इसके विकणों की माप 17 mm है। यह वैद्युत उदासीन है तथा इसमें धन और ऋण आवेश समान मात्रा में है।
यह मानते हुए कि पैसे के सिक्के केवल Al के बने हैं, धन तथा ऋण आवेशों की समान संख्याओं के परिमाण ज्ञात कीजिए। इस परिमाण से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं।
1.21 प्रश्न 1.20 में वर्णित एक सिक्के पर विचार कीजिए। यह वैद्युत उदासीन है तथा इसमें समान परिमाण, 34.8 kc के धन तथा ऋण आवेश हैं। यदि ये आवेश दो बिन्दु आवेशों में सांद्रित हैं, जिनका पृथकन (i) 1 cm (-1/2 × पैसे के सिक्के का विकर्ण), (ii) 100 m (~ किसी बड़े भवन की लंबाई), तथा (iii) 10⁶ m (पृथ्वी की त्रिज्या) हो तो, तीनों प्रकरणों मे प्रत्येक के लिए इस प्रकार के बिन्दु आवेश पर बल ज्ञात कीजिए। इन परिणामों से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं।
1.22 चित्र 1.10 सीजीयम क्लोराइड, (CsCl) की क्रिस्टल इकाई को निरुपित करता है। खुले वृत्तों द्वारा निरुपित सीजीयम परमाणु 0.40 nm भुजा के घन के कोनों पर स्थित है जबकि Cl परमाणु के केन्द्र पर स्थित हैं। Cs परमाणुओं में एक इलेक्ट्रॉन कम है जबकि Cl परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन का आधिक्य है।

(i) आठ Cs परमाणुओं के कारण Cl परमाणु पर नेट विद्युत क्षेत्र कितना है।
(ii) मान लीजिए कोने A पर Cs परमाणु लुप्त हो जाता है, तब बाकी बचे सात Cs परमाणुओं के कारण अब Cl परमाणु पर नेट बल कितना है।
1.23 दो आवेशों q तथा –3q को x-अक्ष पर ‘d दूरी के पृथकन के साथ रखा गया है। तीसरे आवेश 2q को कहाँ रखा जाय ताकि यह कोई बल अनुभव न करे।
1.24 चित्र 1.11 में तीन बिन्दु आवेशों A, B तथा C के चारों ओर विद्युत क्षेत्र रेखाएं दर्शायी गई हैं।

(a) कौने से आवेश धनात्मक हैं।
(b) किस आवेश का परिमाण अधिकतम है। क्यों?
(c) चित्र के किस क्षेत्र/क्षेत्रों में विद्युत क्षेत्र शून्य हैं। अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(i) A के निकट (ii) के निकट (iii) C के निकट (iv) कहीं नही

1.25 पाँच आवेश, जिनमें प्रत्येक q हैं, ‘a’ भुजा के किसी नियमित पंचभुज के कोनों पर रखे गए हैं। (चित्र 1.12)।
(a) (i) इस पंचभुज के केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा।
(ii) यदि किसी एक कोने (जैसे A) से आवेश को हटा दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा।
(iii) यदि A पर आवेश को –q द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा।
(b) आपके (a) के उत्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि पंचभुज की n-भुजा के ऐसे नियमित बहुभुज से प्रतिस्थापित कर दिया जाए जिसके प्रत्येक कोने पर q आवेश हो।
दीर्घउत्तरीय (LA)
1.26 सन् 1959 में लाइट्लटेन एवं बॉण्डी ने सुझाया कि यदि द्रव्य पर कोई नेट आवेश हो तो विश्व (यूनिवर्स), के प्रसरण की व्याख्या की जा सकती है। मान लीजिए विश्व हाइड्रोजन परमाणुओं से मिलकर बना है। जिनका संख्या घनत्व N है और जिसे नियत रखा जाता है, मान लीजिए प्रोटॉन पर आवेश ep = – (1 + y)e है, यहाँ e इलैक्ट्रॉनिक आवेश है।
(a) y का वह क्रांतिक मान ज्ञात कीजिए, जिस पर प्रसरण आरम्भ हो सके।
(b) यह दर्शाइए कि प्रसरण का वेग केन्द्र से दूरी के वर्ग के अनुक्रमानुपाती है।

1.27 R त्रिज्या के किसी ऐसे गोले पर विचार कीजिए जिस पर आवेश घनत्व r ≤ R, के लिए ρ (r) = kr तथा r > R के लिए ρ(r) = 0 है।
(a) r के सभी मानों के लिए विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
(b) मान लीजिए गोले पर कुल आवेश 2e है, जहाँ e इलेक्ट्रॉन का आवेश है। दो प्रोटॉनों को कहाँ पर अन्तः स्थापित किया जाए कि इनमें प्रत्येक पर आरोपित बल शून्य हो। यह मानिए कि प्रोटॉनों के रखने पर ऋणावेश वितरण परिवर्तित नहीं होता।
1.28 दो स्थिर, सर्वसम प्लेट (α और β), जिनमें प्रत्येक का पृष्ठीय क्षेत्रफल S है, क्रमश- Q था q, द्वारा आवेशित हैं जहाँ Q > q > 0 गति करने के लिए स्वतंत्र कोई तीसरी सर्वसम प्लेट q आवेश वाली प्लेट के दूसरी और इससे d दूरी पर रखी जाती है (चित्र 1.13)। तीसरी प्लेट को मुक्त छोड़ने पर यह β प्लेट से टकराती है। मान लीजिए कि टक्कर प्रत्यास्थ है तथा टक्कर में लगा समय प्लेटों β तथा γ में आवेश के पुनः वितरण के लिए पर्याप्त है।
(a) टक्कर से पूर्व प्लेट γ पर आरोपित विद्युत बल ज्ञात कीजिए।
(b) टक्कर के पश्चचात β तथा γ आवेश ज्ञात कीजिए।
(c) टक्कर के पश्चात प्लेट β से दूरी d पर प्लेट γ का वेग ज्ञात कीजिए।
1.29 SI/MKSA मात्रक प्रणालियों के अतिरिक्त मात्रकों की एक अन्य उपयोगी मात्रक प्रणाली है जिसेे cgs (सेन्टीमीटर-ग्राम-सेकेण्ड) प्रणाली कहते हैं। इस प्रणाली के अनुसार कूलॉम-नियम इस प्रकार वयक्त किया जाता हैः
F = Qq/r² r
यहाँ दूरी r को cm (=10⁻²m), F को डाइन (=10⁻⁵N) तथा आवेशों को स्थिर वैद्युत मात्रकों (es मात्रकों), यहाँ आवेश का 1es मात्रक =1/[3]×10⁻⁹C है। समीकरण में संख्या [3] वास्तव में प्रकाश की चाल, के कारण जिसका यथार्थ मान अब
C = 2.99792458 × 10⁸ m/s लिया जाता है, आई है।
(i) यह दर्शाइए कि cgs में कूलॉम-नियम के अनुसार 1 esu आवेश = 1 (डाइन) 1/2 सेन्टीमीटर द्रव्यमान M, लम्बाई L तथा समय T के पदों में आवेश की विमाएँ प्राप्त कीजिए। यह दर्शाइए कि इसे M तथा L की भिन्नात्मक घातों के पदों में व्यक्त किया जाता है।
(ii) 1 esu आवेश = x C लिखिए, यहाँ x कोई विमाहीन संख्या है। यह दर्शाइए कि इससे यह प्राप्त होता है कि

1.30 दो आवेश जिनमें प्रत्येक का परिमाण –q है, 2d दूरी पर स्थिर रखे गए हैं। चित्र 1.14 में दर्शाए अनुसार m द्रव्यमान को किसी तीसरे आवेश q को, जो इनके मध्य बिन्दु पर स्थित है, इन दो नियत आवेशों को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत्, कुछ दूरी x (x<<d) द्वारा विस्थापित किया जाता है। दर्शाइए कि q सरल आवर्त गति करेगा जिसका आवर्त काल
T = (8π³ε₀md³/q²)½ होगा।
1.31 R त्रिज्या के किसी छल्ले की लम्बाई के अनुदिश कुल आदेश -Q को एक समान रुप से फैलाया गया है। द्रव्यमान m के छोटे परीक्षण आवेश +q को छल्ले के केन्द्र पर रखकर छल्ले के अक्ष के अनुदिश धीरे से धकेला जाता है।
(a) दर्शाइए कि कण सरल आर्वत दोलन करता है।
(b) इसका आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
कक्षा 12 भौतिकी विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र
यूनिट 1- वेधयुत आवेश तथा क्षेत्र के प्रश्नों के उत्तर यहाँ से प्राप्त करें
1.1 (a)
1.2 (a)
1.3 (d)
1.4 (b)
1.5 (c)
1.6 (a)
1.7 (a)
1.8 (c), (d)
1.9 (b), (d)
1.10 (b), (d)
1.11 (c), (d)
1.12 (a), (c)
1.13 (a), (b), (c) और (d)
1.14 शून्य
1.15 (i) -Q/4πR₁², (ii) Q/4πR₂²
1.16 विद्युत क्षेत्र परमाणओं को बाँधकर उदासीन अस्तित्व कर देते हैं। आवेशों के आधिक्य के कारण क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। किसी वियुक्त चालक के अन्तरापृष्ठ पर आवेश-आधिक्य नहीं हो सकता।
1.17 नहीं, विद्युत क्षेत्र अभिलम्बवत हो सकता है। तथापि, इसका विपरीत सत्य है।

















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