लीप ईयर जिसे हम हिंदी में लीप वर्ष या अधिवर्ष के नाम से भी जानते हैं प्रत्येक चार वर्ष में एक बार आता है। इस वर्ष (2020) को लीप वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, वर्ष 2020 के बाद अगला लीप ईयर सन 2024 में आएगा। अगर आप लीप ईयर से जुड़ी पूर्ण जानकारी जैसे लीप ईयर क्या होता है, यह कब से शुरू किया गया, लीप ईयर चार साल के बाद ही क्यों आता है, लीप ईयर में 29 दिन ही क्यों होते हैं और इससे जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इस पेज से आसानी से यह सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Leap year/अधिवर्ष क्या होता है?
लीप ईयर या अधिवर्ष हम उस वर्ष को कहते हैं जिसमें साल का फरवरी महीना 28 के बजाय 29 दिन का होता है इसलिए लीप वर्ष में 365 दिनों की जहग 366 दिन का एक वर्ष होता है। लीप ईयर की शुरुआत सबसे पहले जूलियस सीजर ने की थी लेकिन उनके अनुसार साल में 365 दिन 6 घंटे का समय होता था जिससे हर 400 वर्ष के अंतर पर 3 दिन की अधिक हो जाते। इसमें पॉप ग्रेगरी ने 1582 ई. में 5 अक्टूबर में 10 दिनों को जोड़कर 15 अक्टूबर करके सुधार कर दिया और वर्तमान में यही कैलेंडर पुरे विश्व में प्रचलन में है।
आज का दिन 4 साल में एक बार आता है!
लीप ईयर का दिन चार साल में एक बार इसलिए आता हैं क्योंकि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और पृथ्वी सूर्य का एक पूर्ण चक्कर लगाने के लिए 365 दिन 6 घंटे 48 मिनट 45.51 सेकेंड का समय लेती है। अब इसमें 365 दिन के अतिरिक्त लगने वाला समय प्रत्येक चौथी साल में लगभग एक दिन के बराबर हो जाता है। इस बढ़े हुए दिन को हर चौथी साल के फरवरी के माह में जोड़ दिया जाता है जिससे फरवरी 29 दिन की हो जाती है इसलिए लीप ईयर हर चार साल में एक बार आता है।
लीप ईयर जानने का तरीका
लीप ईयर को जानने के लिए एक आसान तरीका है जिसकी मदद से आप यह जान सकते हैं कि लीप ईयर किस-किस वर्ष में आएगा। आप जिस भी वर्ष का लीप ईयर जानना चाहते हैं उसमें 4 का भाग दीजिए, अगर उस वर्ष में 4 का भाग पूरी तरह से चला जाये तो उसको हम लीप वर्ष कहेंगे। इसके साथ अगर उस वर्ष में अगर 400 का भाग भी पूरी तरह से चला जाये तो यह वर्ष लीप वर्ष कहलाता है जैसे सन 2000 में 400 का भाग पूर्ण रूप से चला जायेगा। इस वर्ष (सन 2020) में ४ का भाग पूर्ण रूप से जाता है इसलिए इस वर्ष को लीप वर्ष माना जायेगा इसी प्रकार अगला लीप वर्ष 2024 में होगा जिसमें 4 का भाग पूर्ण रूप से चला जायेगा। आप इसी प्रकार से आने वाली सभी लीप वर्ष का पता लगा सकते हैं।
लीप वर्ष से सम्बंधित अन्य जानकारी
लीप ईयर नियम को पॉप 13 ग्रेगरी ने 1582 ई. में जूलियन कैलेंडर को संशोधित करके लागू किया था। क्योंकी जूलियन कैलेंडर 1582 ई. आते-आते 10 दिन पीछे हो गया था तो पॉप ग्रेगरी ने अपने कैलेंडर में 05 अक्टूबर के बाद 10 दिनों का बढ़ाकर 15 अक्टूबर करके उसको बराबर कर दिया और उसके बाद बढ़े हुए समय को निर्धारण करने के लिए उन्होंने लीप ईयर का नियम लागू किया जिससे कि कैलेंडर समान रूप से चलता रहे। वर्तमान में पुरे विश्व में ग्रेगोरियन कैलेंडर कैलेंडर की मान्यता है और यही कैलेंडर पुरे विश्व में प्रचलन में है। चूँकि इस कैलेंडर को लागू करने वाले का नाम पॉप ग्रेगरी था तो इसलिए इसको ग्रेगोरियन पद्धति के नाम दिया गया। किन देशों ने इस कैलेंडर को कब अपनाया इसकी जानकारी निम्नलिखित है-
ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाने वाले देश –
- सर्वप्रथम इस पद्धति को स्पेन, पुर्तगाल, इटली एवं फ्रांस ने अपनाया, इन्होंने इस पद्धति को लागू होने के बाद ही 1582 ई. में अपना लिया।
- जर्मनी स्विट्जरलैंड एवं हॉलैंड देशों ने इसे 1583 ई. में अपनाया।
- पोलैंड एवं हंगरी ने क्रमशः इसे 1586ई. एवं 1587ई. में अपनाया।
- जर्मनी, नीदरलैंड एवं डेनमार्क ने इसे 1700 ई. में अपनाया।
- ब्रिटिशर्स ने इसे 1552 ई. में अपनाया।
- भारत में भी यह पद्धति 1552 ई. अपनायी गई क्योकिं तब भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था और ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे एक साथ लागू किया था।
- भारत के बाद जापान ने 1772 ई., चीन ने 1912 ई. बुल्गारिया ने 1915 ई., तुर्की एवं रूस ने 1917 ई. में अपनाया।
- सबसे अंत में 1919 ई. में रोमानिया एवं युगोस्लाविया ने अपने देशों में यह पद्धति लागू की। इस प्रकार वर्तमान में इसी पद्धति के तहत लीप ईयर मनाया जाता है।