फिर एक बार एनसीटीई ने शिक्षको की नौकरी खतरे में ला दी है। जानकारी के मुताबिक संस्था राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एक बयान से उत्तर प्रदेश के तकरीबन 50 हजार शिक्षकों की नौकरियां खतरे में पढ़ गई है। यह मामला शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अर्हता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में एनसीटीई ने अपीयरिंग/परसुइंग को परिभाषित किया है।
वही एनसीटीई के अपियरिंग को परिभाषित करते ही शिक्षकों में खलबली मच गई। खलबली मचने का एक कारण यह भी है। क्योंकि इस परिभाषा से जो शिक्षक पिछले 6 सालों में नियुक्त हुए हैं। उन शिक्षकों के टीईटी प्रमाणपत्र अमान्य हो जाएंगे। जिसमें शिक्षकों की संख्या तकरीबन 50 हजार है। इसका गुस्सा शिक्षकों में साफ़ देखा जा रहा है।
लगभग 50 हजार शिक्षकों के टीईटी प्रमाणपत्र हो सकते हैं अमान्य
गौरतलब है कि संस्था राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ऐसे उम्मीदवारों जिन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण पूरा कर लिया हो। लेकिन वह उम्मीदवार जो अंतिम वर्ष की परीक्षा में न बैठे हों या अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठ रहे अभ्यर्थी या शिक्षक प्रशिक्षण उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही टीईटी में बैठने के लिए योग्य हैं। इसके अनुसार बीटीसी में जो चौथे सेमेस्टर में था उसका टीईटी का प्रमाणपत्र ही मान्य है जबकि पहले, दूसरे और तीसरे सेमेस्टर में रहते हुए टीईटी पास करने वाले और उसके आधार पर नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों की नौकरी पर तलवार लटक रही है।सभी शिक्षकों की नज़र सुप्रीम कोर्ट पर ही टिकी हुई है।
2012 के बाद प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती, 9770, 10800, 10000, 15000, 16448, 12460 सहायक अध्यापक व उर्दू भर्ती के अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही एक अनुमाना यह भी लगाया जा रहा है कि ऐसे शिक्षकों की संख्या 50000 से अधिक है जिनका ट्रेनिंग का परिणाम TET के बाद घोषित हुआ। इसका असर वर्तमान में चल रही 68500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ सकता है।
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