पीएम एफएमई : PM FME योजना का शुभारम्भ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा 29 जून 2020 को किया गया। यह योजना आत्मनिर्भर योजना के एक भाग के रूप में काम करेगी। इस योजना को हिंदी में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के नाम से जाना जाता है। इस योजना को वित्त वर्ष 2020-2021 से वित्त वर्ष २०२४-2025 तक लागू किये जाने की घोषणा की गयी है। इस योजना को संचालित करने के लिए लगभग 10 हजार करोड़ रूपए का व्यय किया जायेगा। यह योजना भारत में असंगठित क्षेत्र के लिए शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य सूक्ष्म प्रसंस्करण इकाइयों के लिए वित्त की पहुंच को बढ़ाना है। इसका उद्देश्य खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन करना है
PM FME – प्रधान मंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना के उद्देश्य
पीएम एफएमई योजना को लॉन्च करते समय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसके विभिन्न उद्देश्य निर्धारित किये –
- माइक्रो फ़ूड उद्यमियों का क्षमता निर्माण एवं उन्हें तकनीकी ज्ञान प्रदान किया जायेगा।
- संगठित आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ मौजूदा उद्यमों के एकीकरण का समर्थन करने के लिए ब्रांडिंग और विपणन को मजबूत करना।
- खाद्य क्षेत्र में प्रशिक्षण उपकरण और गुणवत्ता युक्त उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाना एवं साथ ही उनके ब्रांडिंग का कौशल का निर्माण करना।
- महिलाओं को इस योजना से आत्मनिर्भर बनाना।
- किसानों की आय में बढ़ोत्तरी करना।
- संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), उत्पादकों सहकारी समितियों और सहकारी समितियों को आसानी से सहायता प्रदान करना।
- मौजूदा असंगठित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को शामिल करने के लिए उन्हें एक औपचारिक रूप से अनुपालन ढांचे में लाने के लिए एक नियामक ढांचा तैयार करना।
पीएम एफएमई योजना के मुख्य घटक
सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इस योजना को चार भागों में बांटा गया है जिसकी जानकारी निम्नलिखित है –
- एक मजबूत परियोजना प्रबंधन ढांचे का निर्माण करना।
- व्यक्तिगत एवं सूक्ष्म उद्यमों के समूहों को सहायता।
- संस्थानों की मजबूती के लिए समर्थन।
- ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग का समर्थन।
एक जिला एक उत्पाद
एक जिला एक उत्पाद ((One District One Product- ODDP) के तहत राज्यों द्वारा कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक ज़िले के लिये एक खाद्य उत्पाद की पहचान की जाएगी एवं प्रोडक्ट के आधार पर चुने गए उत्पादों का प्रोडक्शन करने वाले उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर मदद दी जाएगी। ऐसे उत्पादों में आम, आलू, लीची, टमाटर, साबूदाना, कीनू, भुजिया, पेठा, पापड़, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मछली पालन, मुर्गी पालन, मांस के साथ-साथ पशु चारा आदि को शामिल किया गया है।
कैसे करें आवेदन
इस योजना में उम्मीदवार ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं। इसके साथ मांगी गयी जानकारी के साथ आप इस फॉर्म को बैंक में जमा कर सकते हैं। बैंक की ओर से पात्र उम्मीदवार को 40 हजार रूपए का लोन प्रदान किया जायेगा। तीन वर्ष तक इस लोन पर कोई भी ब्याज नहीं लिया जायेगा। क्षेत्रीय स्तर पर आपको लोन पर 50% का अनुदान भी दिया जा सकता है।
पीएम एफएमई योजना की विशेषताएं एवं तथ्य
- योजना के तहत कुल 35000 हजार करोड़ रूपए निवेश करना का लक्ष्य रखा गया है।
- इस योजना के तहत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 9 लाख रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।
- योजना के अंतर्गत होने वाले व्यय को राज्य एवं केंद्र सरकार क्षेत्रीय आधार पर निर्धारित अनुपात के अनुसार व्यय करेंगे।
- एक जिले के लिए एक खाद्य उत्पाद की पहचान की जाएगी।