वसंत पंचमी का त्यौहार हिन्दू संस्कृति (सनातन धर्म) का एक प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रीपंचमी के रूप में भी जाना जाता है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष हिंदी महीनों के अनुसार माघ की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी महीनों के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व जनवरी / फरवरी में आता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह त्यौहार वसंत ऋतु शुरू होने को लेकर मनाया जाता है। वसंत ऋतु सभी को प्रिय लगती है क्योंकि वसंत ऋतु में हर जगह तरह-तरह फूलों का गुच्छा खिला होता है जो बेहद ही मनमोहक लगता है, सरसों के पीले खिले हुए फूल लोगों के मन को मोह लेते हैं जो केवल इसी ऋतु में देखने को मिलते हैं।

वसंत पंचमी पर निबंध (400 शब्द)

परिचय – बसंत पंचमी का त्यौहार हिन्दू धर्म का एक पर्व है जो प्रत्येक वर्ष वसंत ऋतु आने पर मनाया जाता है। यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को केवल भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश के पश्चिम और उत्तर के कुछ भाग, नेपाल और विभिन्न हिन्दू मान्यताओं को मानने वाले या विदेश में रह रहे हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। इस त्यौहार को सभी जगहों पर अलग-अलग तरह से मनाया जाता हैं। कहीं-कहीं इस दिन लोग वीणा वादिनी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं तो कहीं लोग फसलें पकने पर उसकी ख़ुशी को मनाने के लिए इस पर्व को मनाते हैं।

निबंध – वसंत पंचमी को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है लेकिन उसमें से प्रमुख है माता सरस्वती की पूजा अर्चना करना और उनको प्रसन्न करना। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था और तभी लेकर अब तक यह पर्व पौराणिक काल से ही मनाया जा रहा है। इस दिन को खासकर स्कूलों और कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों में धूम-धाम से मनाया जाता है। सभी लोग पीले वस्त्र धारण करके स्कूल, कॉलेज, दफ्तरों में जाते हैं और माता सरस्वती को पीले पुष्प अर्पित करके उनको प्रसन्न करते हैं। छात्र-छात्राएं विद्यादायिनी माँ से विद्या प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा किसान भी इस दिन को बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। वसंत ऋतु में किसानों की फसलें पकने के लगती है और वे अपनी ख़ुशी का इज़हार करते हैं।

इस दिन बच्चे, बड़े, बुजुर्ग, महिलाएं अपने अनुसार पीले वस्त्रों को धारण करते हैं। मान्यताओं के अनुसार वसंत का रंग पीला है, जिसे ‘बसंती’ रंग के रूप में भी जाना जाता है। यह समृद्धि, प्रकाश, ऊर्जा और आशावाद का प्रतीक है, यही कारण है कि लोग पीले कपड़े पहनते हैं। बच्चे पीले रंग के कपड़े पहनकर स्कूल में जाकर माता सरस्वती की आराधना करते हैं। कई जगह माता सरस्वती के सार्वजनिक पंडाल लगाए जाते हैं और सार्वजनिक मेलों का आयोजन किया जाता है जहाँ बच्चों से लेकर बुजुर्ग और महिलाएं सभी पीले रंग के कपड़े पहनकर इसमें शामिल होते हैं। वहाँ में विधि-विधान से सरस्वती माँ की पूजा करते हैं और उनको प्रसन्न करने के लिए लोक नृत्य, लोकसंगीत आदि गाते हैं।

निष्कर्ष – बसंत ऋतु का प्रारम्भ माघ माह की पंचमी से शुरू होता है और इसी दिन को वसंत पंचमी के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा इस दिन को माँ सरस्वती की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। देश के अलग-अलग स्थानों पर इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं इस त्यौहार पर सरस्वती माँ की पूजा वंदना की जाती है तो कहीं इस दिन किसान लोग अपनी फसलों, फूलों, फलों का पूजन करते हैं। विभिन्न जगहों पर लोग पतंगबाजी करके इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन दान की भी खास महत्व रहता है, लोग जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, भोजन, किताबें आदि दान में देते हैं।

बसंत पंचमी पर 10 लाइन

  • वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है।
  • वसंत ऋतु के दिन को सरस्वती माँ की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, कहते है इसी दिन ब्रह्मा जी ने सरस्वती माँ को कमंडल से जल छिड़ककर उनका निर्माण किया था।
  • इस दिन लोग विद्यादायिनी माँ सरस्वती का पूजन करते हैं, इसके साथ लोग वाद्य यंत्रों, किताबों की भी पूजा अर्चना करते हैं जिससे कि माता सरस्वती की कृपा दृष्टि उन पर पड़े और उनको विद्या का आशीर्वाद प्राप्त हो।
  • वसंत ऋतु में पीले रंगों का विशेष महत्व होता है इसलिए सब लोग इस दिन पीला वस्त्र धारण करते हैं और माँ सरस्वती को पीले पुष्प अर्पण करते हैं।
  • पंजाब प्रान्त में वसंत पंचमी पर पतन उड़ाने का विशेष महत्व होता है। वसंत पंचमी पर पतंगबाजी की प्रथा महाराणा रंजीत सिंह ने की थी।
  • कहते हैं लोगों के साथ-साथ वसंत पंचमी पेड़-पौधों का भी प्रिय मौसम है क्योकिं इस ऋतु में ही पेड़ पौधों में नयी पत्तियाँ, नए फूल खिलते हैं।
  • इस ऋतु को शीत ऋतु के अंत के रूप में देखा जाता है, कहा जाता है कि मौसम में न ही ज्यादा ठण्ड होती है और न ही गर्मी और न ही बरसात।
  • वसंत पंचमी के दिन छोटे बच्चों को उनके पहले अक्षर को लिखना सिखाया जाता है जिससे कि उनको माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो और वे अपने जीवन में पढ़ लिख कर तरक्की कर सकेंगे।
  • कहीं कहीं लोग वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की मूर्ति स्थापति करके दो तीन दिनों तक पूजा अर्चना करके उनकी सेवा करते हैं और उन्हें विसर्जित करते हैं।
  • वसंत पंचमी हमारे देश का एक प्रमुख त्यौहार है और इसकी महत्ता हर प्रान्त में अलग-अलग है। इसलिए लोग अपने-अपने अनुसार इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।

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