Janmashtami 2023 : जन्माष्टमी भारत देश का वो त्यौहार है जिसे सिर्फ देश के अंदर ही नहीं देश के बाहर विश्व भर में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। श्री कृष्ण जी की लोकप्रियता देश के भीतर तो है कि वहीं विदेशों में ISCON संस्था ने श्री कृष्ण की लोकप्रियता को बढ़ाया है। भगवान श्री कृष्ण को हम लड्डू गोपाल, कान्हा, माखन चोर, रणछोड़, श्याम, गिरिधर, बांके बिहारी, केशव, मधुसूदन, मुरलीधारी, देवकी/यशोदा नंदन, माधव, मुरारी, मोहन आदि जैसे अन्य बहुत सारे नामों से जानते हैं। ये सारे नाम उनकी खास विलक्षण प्रतिभा के कारण उनको प्राप्त हुए हैं। भगवान श्री कृष्ण सदा से ही लोगो के आराध्य रहे हैं। लोगो की इसी आस्था के कारण देश भर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का अलग ही स्थान है।

आज का यह आर्टिकल बहुत ही खास है क्योकि इसके माध्यम से हम आपको बताएंगे कि जन्माष्टमी कितनी तारीख की है, जन्माष्टमी डेट क्या है, कैसे मनाते है जन्माष्टमी आदि सभी जानकारी। जन्माष्टमी भारत के कई क्षेत्रों में एक हिंदू त्योहार और राजपत्रित छुट्टी है।

जन्माष्टमी तिथि दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और दूसरे दिन यानी 7 सितंबर 2023 यानी अष्टमी तिथि को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. शुभ जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त रात्रि 12:02 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा

सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहारों में से एक, जन्माष्टमी (कृष्ण जयंती) भगवान कृष्ण का जन्मदिन है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। जिन्होंने भागवत गीता का महत्वपूर्ण संदेश दिया – प्रत्येक हिंदू के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत। इस दिन भारत भर में कृष्ण को समर्पित मंदिरों में समारोह और पूजा-पाठ किया बड़े ही हर्षोउल्लास से किया जाता है। पहले दिन में आधी रात तक उपवास और प्रार्थना होती है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को यानी कि 12 बजे माना जाता है तो सब जगह आधी रात में जन्मोत्सव का कार्यक्रम किया जाता है। परंपरा के अनुसार, कृष्ण का जन्म मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इस क्षेत्र में, कृष्ण लीला का प्रदर्शन एक आम परंपरा है, जो एक लोक नाटक है जिसमें कृष्ण के जीवन से दृश्य शामिल हैं। मथुरा में ओपुलरली मनाया जाता है, जिसे भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्मस्थान कहा जाता है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद के पवित्र महीने के आठवें दिन में मध्यरात्रि में हुआ था।

भारत के विभिन्न हिस्सों में कई रीति-रिवाज विकसित हुए हैं, जो सभी कृष्ण के जीवन की कहानियों पर आधारित हैं। उदाहरण के लिए, ऐसा कहा जाता है कि कृष्णा को मक्खन और दूध पसंद था। कई रंगीन किंवदंतियों कृष्ण के जीवन के बारे में बताते हैं और वह हिंदू लेखन में एक प्रमुख व्यक्ति हैं।

उनके बचपन की बाल लीलाएं बहुत ही ज्यादा प्रचलित हैं। वे बचपन में घरों से मक्खन चुरा के खा जाया करते थे जिस कारण उनको माखन चोर नाम दिया गया। आज के समय में माताएं-बहने घर में छोटे बच्चों को श्री कृष्ण सरीखे सजा कर माखन चोरी करते हुए बाल लीलाएं कराती हैं और झांकी सजा के भगवन का जन्मदिन मनाते हैं।

इस त्यौहार पर, लोग उपवास और प्रार्थना के साथ दिन शुरू करते हैं, और दही-हांड़ी के अनुष्ठानों का भी आनंद लेते हैं, स्थानीय मेलों में जाते हैं और मिठाई वितरित करते हैं। ‘भगवत पुराण’ का कहना है कि उपवास और प्रार्थना करने के अलावा, भक्ति गायन, रात की सतर्कता और कृष्णा किंवदंतियों के नाटकीयकरण कृष्णा जन्माष्टमी के महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं।

Similar Posts

Leave a Reply