दुर्गा पूजा भारत का धार्मिक त्योहार है जो हिन्दू धर्म के लोंगों द्वारा बहुत खुशी के साथ देश भर में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा पूरे नौ दिन तक चलती है, लेकिन कुछ लोग इसे पाँच या सात दिनों तक मनाते हैं। लोग माँ दुर्गा देवी की मूर्ति की पूजा षष्टि से शुरू करते हैं जो दशमी पर दुर्गा विसर्जन के साथ खत्म होती है। दुर्गा पूजा को दुर्गा का उत्सव या नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा का उत्सव भारत के असम, उड़ीसा, बंगाल, झारखंड, मणिपुर और त्रिपुरा में व्यापक रूप से मनाया जाता है। बंगाल के अलावा दुर्गा पूजा भारत के दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र आदि राज्यों में नवरात्रि पूजा के नाम से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा या नवरात्रि पूजा साल में दो बार चैत्र और आश्विन माह में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा का महत्व जाननें के लिए इस पेज को पूरा पढ़ें।

दुर्गा पूजा का महत्व

दूर्गा पूजा हिन्दू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सांसारिक महत्व है। लोग दुर्गा की पूजा षष्टि से शूरु करते हैं और दशमी पर खत्म होती है। इन दिनों सभी मंदिरों को सजाया जाता है और माहोल पूरी तरह से भक्तिमय में हो जाते हैं। कुछ लोग अपने घरों में ही सभी व्यवस्थाओं के साथ नौ दुर्गा की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। दुर्गा पूजा के रूप में हम स्त्री शक्ति की पूजा करते हैं। कई जगह इस पर्व में मेला और बाजार लगता है।

दुर्गा पूजा से जुड़ी कई कथाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि माँ दुर्गा ने इस दिन महिषासुर नामक असुर का संहार किया था जो भगवान ब्रम्हा का वरदान पाकर काफी शक्तिशाली हो गया था। ब्रम्हा जी ने महिषासुर को यह वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। वरदान पाकर वह स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने लगा और पृथ्वी पर भी आतंक मचाने लगा। उसने स्वर्ग में एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। सभी देव परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे। सारे देवताओं ने मिलकर उसे परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वह हार गये। कोई उपाय न मिलने पर देवताओं ने उसके विनाश के लिए देवी दुर्गा का सृजन किया जिसे शक्ति और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाते हैं दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।

दुर्गा पूजा को वास्तव रुप में शक्ति पाने की इच्छा से मनाया जाता है जिससे की बुराईयों का अंत किया जा सके। लोगों का विश्वास होता है कि देवी दुर्गा का आशीर्वाद पराप्त होगा और दुर्गा माता उन्हें सभी समस्याओं और नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखेंगी। हिन्दू धर्म के हर त्यौहार के पीछे सामाजिक कारण होता है। दुर्गा पूजा एक ऐसा त्योहार है जो हमारे जीवन में उत्साह एवं ऊर्जा का संचार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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दुर्गा पूजा पर 10 लाइनें

  1. दुर्गा पूजा हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है।
  2. यह दुर्गोत्सव, षष्ठोत्सव या नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
  3. दुर्गा पूजा का त्योहार पूरे नौ दिनों तक चलता है लेकिन कुछ लोग इसे पांच या सात दिनों तक भी मनाते हैं।
  4. मॉ दुर्गा की पूजा षष्ठी से शूरू होती है और दशमी पर खत्म होती है।
  5. हिन्दू कैलंडर के अनुसार दुर्गा पूजा साल में दो बार अश्विन और चैत्र के महीनें में होती है।
  6. दुर्गा पूजा मुख्य रुप से बंगाल में अधिक धूमधाम से मनाई जाती है।
  7. इस दिन देवी दुर्गा ने एक महिषासुर नाम के राक्षस के ऊपर विजय प्राप्त की थी।
  8. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  9. दुर्गा पूजा के दसवें दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को विसर्जन किया जाता है।
  10. सभी लोग माँ दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

दुर्गा पूजा लेखन हिंदी में

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